आने वाले 14 दिसंबर को इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या है। कहा जाता है इस दिन सुहागनें पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं सोमवती अमावस्या की कथा जो आप सभी को जरूर पढ़नी या सुननी चाहिए।
सोमवती अमावस्या की सोना धोबिन की कथा- एक गरीब ब्राह्मण परिवार था। उनकी एक कन्या थी जो कि बहुत ही प्रतिभावान एवं सर्वगुण संपन्न थी। जब वह विवाह के योग्य हो गई तो ब्राह्मण ने उसके लिए वर खोजना शुरू किया। कई योग्य वर मिले परन्तु गरीबी के कारण विवाह की बात नहीं बनती। एक दिन ब्राह्मण के घर एक साधु आए। कन्या के सेवाभाव देख साधु बहुत प्रसन्न हुए और दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया। ब्राह्मण के पूछने पर साधु ने कन्या के हाथ में विवाह की रेखा न होने की बात कही। इसका उपाय पूछने पर साधु ने बताया कि पड़ोस के गांव में सोना नामक धोबिन का परिवार है। कन्या यदि उसकी सेवा करके उससे उसका सुहाग मांग ले तो उसका विवाह संभव है।
साधु देवता की बात सुनकर कन्या ने धोबिन की सेवा करने का मन ही मन प्रण किया। उसके अगले दिन से कन्या रोज सुबह उठकर धोबिन के घर का सारा काम कर आती थी। एक दिन धोबिन ने बहु से कहा कि तू कितनी अच्छी है कि घर का सारा काम कर लेती है। तब बहु ने कहा कि वह तो सोती ही रहती है। इस पर दोनों हैरान हुई कि कौन सारा काम कर जाता है। दोनों अगले दिन सुबह की प्रतीक्षा करने लगी। तभी उसने देखा कि एक कन्या आती है और सारा काम करने लगती है। तो धोबिन ने उसे रोक कर इसका कारण पूछा तो कन्या सोना धोबिन के पैरों पर गिर पड़ी और रो-रोकर अपना दुःख सुनाया। धोबिन उसकी बात सुनकर अपना सुहाग देने को तैयार हो गई।
अगले दिन सोमवती अमावस्या का दिन था। सोना को पता था कि सुहाग देने पर उसके पति का देहांत हो जाएगा। लेकिन उसने इसकी परवाह किए बगैर व्रत करके कन्या के घर गई और अपना सिंदूर कन्या की मांग में लगा दिया। उधर सोना धोबिन के पति का देहांत हो गया। लौटते समय रास्ते में पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना की तथा 108 बार परिक्रमा किया। घर लौटी तो देखा कि उसका पति जीवित हो गया है। उसने ईश्वर को कोटि-कोटि धन्यवाद दिया।