श्रीराम मंदिर निर्माण : चाय बेचने व रिक्सा वाले से लेकर एनआरआई तक का रहेगा सहयोग

एक रुयये से लेकर करोडों-करोड़ तक की सहयोग राशि लेने की है योजना, मकसद: देश के हर नागरिक की भावनाओं को श्रीरामजन्मभूमि निर्माण से जोड़ना मकर संक्रांति से होगी अभियान की शुरुवात, 5 फरवरी तक चलेगा, क्षेत्रवार गठित कमेटी के सदस्य टोली के रुप में घर-घर पहुंचेगे, जानेंगे उनका हाल और लेंगे सहयोग राशि

सुरेश गांधी

वाराणसी। अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील ’राम सबके हैं, राम सबमें हैं’ का मंत्र वास्तविकता के धरातल पर दिखने लगा हैै। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के करीबियों की मानें तो मंदिर निर्माण में देश-विदेश के धनाड्यों से ही नहीं बल्कि चाय बेचने से लेकर रिक्सा चलाने वाले गरीब से गरीब व्यक्तियों का भी सहयोग लिया जायेगा। इसके लिए एक रुयये से लेकर करोडों-करोड़ तक की सहयोग राशि लिए जाने की व्यवस्था की गयी है। मकसद है देश के हर नागरिक की भावनाओं को श्रीरामजन्मभूमि निर्माण से जोड़ना। खास बात यह है कि मकर संक्रांति से चंदा अभियान शुरु हो जायेगा। क्षेत्रवार गठित कमेटी के सदस्य टोली के रुप में घर-घर पहुंचेगे, उनका हाल जानेंगे, उनकी भावनाएं समझेंगे और सहयोग राशि बिना किसी दबाव के स्वतः भरकर देने की बात कहेंगे। यह अभियान 5 फरवरी तक चलेगा।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के रमेश चंद्र तिवारी की मानें तो अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम मंदिर के निर्माण में हर तबके का सहयोग लेने की तैयारी है। कुछ उसी तर्ज पर जिस तरीके श्रीराम ने ंका पर चढ़ाई करने से पूर्व सुग्रीव जैसे राजा, सर्वशक्तिमान महाबलि हनुमान से गिलहरी तक का सहयोग लिया था। इसके पीछे मकसद सिर्फ यही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों का योगदान और मंदिर निर्माण में भावनात्मक लगाव को जोड़ना है। तय कार्यक्रम के अनुसार हर हिन्दू परिवारों तक पहुंचना है। 14 फरवरी मकर संक्रांति से यह कार्य प्रारम्भ होगा। इसके लिए अधिकृत सदस्यों की टोली चाय बेचने वाले से लेकर रिक्शा चलाने वाले गरीब से गरीब और धनवान यानी साधन संपन्न लोगों के घर जायेंगे। अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण में योगदान देने की बात करेंगे। सहयोग राशि भले ही एक रुपया ही क्यों न हो। इस काम में विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित अन्य हिंदू संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता जुटे हैं।

श्री तिवारी का कहना है कि धन संग्रह तो एक माध्यम है। मकसद है इस इस अभियान के जरिए प्रत्येक हिन्दू परिवार को भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के प्रति जागरुक करना। जहां तक रसीद का सवाल है तो इसके लिए एक रुपया, 10 रुपया, 100 रुपया, 500 रुपया और 1000 रुपये के कूपन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से भेजे जाएंगे। इतनी कम राशि के कूपन रखने का उद्देश्य भी है यही कि किसी गरीब या सामान्य मध्यम वर्ग हिंदू परिवार के मन में यह भाव हो कि उसने राम मंदिर निर्माण में योगदान दिया है। हर दिन इस सहयोगी राशि का हिसाब किताब टोली वार रखा जायेगा। इसके लिए इलाकेवार प्रमुख भी बनाए जा रहे हैं। इन सब को प्रशिक्षण दिया जाएगा। अवैध कमाई या गुमनाम धन नहीं लिया जायेगा। इसमें हिंदू परिवारों के अलावा अन्य वर्ग के लोग भी यदि विशेष योगदान करना चाहें तो इसे स्वीकार किया जाएगा। किंतु अवैध कमाई का साधन, जिसका ऑडिट ना होता हो वह स्वीकार नहीं किया जाएगा।

विदेश से भी जुटाया जाएगा चंदा

श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को विदेश में रहने वाले एनआरआई से चंदे के लिए खूब फोन आ रहे हैं। लेकिन विदेश से चंदा लेने के बारे में ट्रस्ट की कुछ मजबूरियां हैं। विदेशी चंदा लेने के लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के तहत कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। यह अलग बात है कि राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा देने की होड़ लगी है। लेकिन इसके लिए नियम बनाएं गए है। उसी नियम के तहत चंदा लेने की योजना है। बता दें अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लोग चेक, मनी ऑर्डर, ऑनलाइन बैंक ट्रांसफर, पेटीएम, भीम यूपीआई, नकदी जैसे कई तरीकों से चंदा भेज रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक राम मंदिर के लिए 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का चंदा श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अकाउंट में जमा हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त के भूमि पूजन के बाद इसमें काफी तेजी आई है। सबसे ज्यादा चंदा ट्रस्ट के एसबीआई खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर के द्वारा आया है।

विदेशी चंदे के लिए मांगी है परमीशन

विदेशी चंदे के लिए ट्रस्ट ने गृह मंत्रालय से फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के तहत इजाजत के लिए आवेदन किया है। ट्रस्ट ने एनआरआई से चंदा हासिल करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक में एक एनआरआई एकाउंट भी खुलवाने जा रहा है। ऐसे लोग एनआरआई कहलाते हैं जो रहते तो किसी और देश में हैं, लेकिन उनके पास इंडियन पासपोर्ट होता है यानी वे भारतीय नागरिक होते हैं। ऐसे लोगों से चंदा हासिल करने के लिए बस किसी बैंक में एक एनआरआई एकाउंट खोलना होता है। एनआरआई के अलावा सभी भारतीय मूल के लोगों, भारतवंशियों आदि का चंदा एफसीआरए के तहत विदेशी चंदा या सहयोग माना जाता है। यह चंदा भारतीय रुपये या किसी भी विदेशी मुद्रा में हो सकता है।

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