Wow : काशी से अयोध्या तक दौड़ेगी बुलेट ट्रेन

13 दिसम्बर से होगा लिडार तकनीक से वाराणसी-नई दिल्ली हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का हेलीकॉप्टर से होगा सर्वे

सुरेश गांधी

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन के नेटवर्क को यूपी के सभी धार्मिक स्थलों से जोड़ने की तैयारी है। इस कड़ी में भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या को भी बुलेट ट्रेन कनेक्टिविटी मिलेगी। दिल्ली-वाराणसी कॉरिडोर के लिए तैयार विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के मुताबिक मथुरा, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, कानपुर और जेवर हवाई अड्डे को भी इस कॉरिडोर में जोड़ा जाएगा। इस स्ट्रेच के लिए नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड डीपीआर तैयार है। उसके मुताबिक 800 किमी का कॉरिडोर इटावा, लखनऊ, रायबरेली और भदोही को भी जोड़ेगा। खास यह है कि नई दिल्ली – वाराणसी तक बनने वाले हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए लिडार तकनीक के प्रयोग को हरी झंडी दे दी गई है। इसके साथ ही अयोध्या मथुरा और प्रयागराज को भी हाई-स्पीड रेल कनेक्टिविटी देने की तैयारी है। इस प्रोजेक्ट में वाराणसी से अयोध्या तक बुलेट ट्रेन को चलाने की भी मंजूरी मिल गयी है।

एनएचएसआरसीएल की प्रवक्ता सुषमा गौड़ ने बताया कि सब कुछ ठीक रहा तो 13 दिसंबर से लिडार तकनीक का सहारा लेकर नईदिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड कॉरिडोर का सर्वेक्षण शुरू करा दिया जाएगा। इसके लिए रक्षा मंत्रालय से भी अनुमति मिल गई है। इस बाबत नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के अनुसार दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए ग्राउंड सर्वे करने के लिए भारतीय रेलवे एक हेलिकॉप्टर के जरिए लेजर युक्त उपकरण के साथ लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) तकनीक का इस्तेमाल करेगा। मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना में लिडार की तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल करने के बाद इसका प्रयोग अब इस रूट पर किया जा रहा है।

इस तकनीक के साथ, उच्च गुणवत्ता वाले डेटा कम समय में डिजिटल रूप में प्रदान किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, लिडार प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का उपयोग सड़कों, भूतल परिवहन, नहरों, भूस्खलन, नगर नियोजन, सिंचाई से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं में भी किया जा सकता है। यह तकनीक सटीक सर्वेक्षण डेटा देने के लिए और लेजर डेटा, जीपीएस डेटा, उड़ान मापदंडों और वास्तविक तस्वीरों के संयोजन का उपयोग करती है। इस तरह के सर्वेक्षण से संरचनाएं, स्टेशनों और डिपो का स्थान, गलियारे के लिए भूमि की आवश्यकता, परियोजना प्रभावित भूखंडों व संरचनाओं की पहचान, राइट ऑफ वे आदि का निर्णय लिया जाता है। एक हेलीकॉप्टर पर लगे उपकरणों के माध्यम से डेटा संग्रह चरणबद्ध तरीके से 13 दिसंबर (मौसम की स्थिति के आधार पर) से शुरू होगा। हेलीकॉप्टर उड़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय से अपेक्षित अनुमति मिल गई है और विमान और उपकरणों का निरीक्षण चल रहा है। क्योंकि प्रस्तावित वाराणसी-नई दिल्ली कॉरिडोर में बहुत चुनौतियां है।

हेलिकॉप्टर से होगा सर्वेक्षण

डीपीआर तैयार करने के लिए ग्राउंड सर्वेक्षण होगा। इसके लिए एक हेलिकॉप्टर में उपकरणों के जरिए लेजर सक्षम उपकरणों का उपयोग करके लाइट डिटेक्शन ऐंड रेंजिंग सर्वे तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। अब तक, अलाइंमेंट को अंतिम रूप देने और जमीन पर सटीक विवरण प्राप्त करने के लिए राजमार्ग क्षेत्रों में ऐआर तकनीक का उपयोग किया गया है, ताकि यह संभव हो सके। आबादी वाले शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों, राजमार्गों, सड़कों, घाटों, नदियों, हरे-भरे क्षेत्रों सहित मिश्रित इलाकों को कवर करेगा, जो इस गतिविधि को और अधिक चुनौतीपूर्ण बनाता है। एनएचएसआरसीएल अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना को लागू कर रहा है।

भूमि अधिग्रहण में होगी मदद

एलाइंमेंट या जमीनी सर्वेक्षण किसी भी रैखिक अवसंरचना परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण गतिविधि है क्योंकि सर्वेक्षण संरेखण के आसपास के क्षेत्रों का सटीक विवरण प्रदान करता है। यह तकनीक सटीक सर्वेक्षण डेटा देने के लिए लेजर डेटा, जीपीएस डेटा, उड़ान मापदंडों और वास्तविक तस्वीरों के संयोजन का उपयोग करती है। इस तकनीक ने राजमार्ग परियोजनाओं के लिए बेहतर डीपीआर तैयार करने में मदद की है और निर्माण उद्देश्यों के लिए सटीक भूमि के अधिग्रहण पर शून्य डाउन की मदद की है।

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