कोरोना वायरस महामारी के दस माह बाद इसकी वैक्सीन की राह काफी हद तक साफ हो गई है। इसको पहले किन्हें दिया जाना चाहिए इसको लेकर भी तस्वीर काफी हद तक साफ है। हर देश ने इसका खाका तैयार कर लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टैड्रॉस ऐडनेहॉम घेबरेयेसस ने भी इस वैक्सीन को किसे सबसे पहले दिया जाए, इसके बारे में कुछ खास कहा है। उनका कहना है कि इस वैक्सीन को पहले सबसे
पहले फ्रंट लाइन पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को दी जानी चाहिए। इसके साथ ही उन मरीजों को ये वक्सीन दी जानी चाहिए जो सबसे अधिक जोखिम वाले हालात में हैं। उन्होंने ये भी कहा कि हर देश को इस वैक्सीन को लेकर अपने यहां पर प्राथमिकता तय करनी चाहिए। इसके आधार पर ही इसको दिया जाना चाहिए। घेबरेयेसस ने कहा कि आने वाले कुछ समय में कुछ देशों में कोरोना की वैक्सीन मुहैया करवा दी जाएंगी।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने जिनेवा में कहा कि दुनिया में काफी संख्या में लोग ऐसे हैं जो अधिक उम्र के हैं और कई तरह की गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। ऐसे में उनको जोखिम अधिक है। इनको वैक्सीन दिए जाने से इनकी मौत का जोखिम काफी हद तक कम हो जाएगा। ऐसा करने से देश अपने यहां की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बोझ को कम कर कसेंगे। कुछ समय बाद जैसे-जैसे वैक्सीन की सुलभता होती जाएगी इसमें दूसरे लोगों को भी शामिल कर लिया जाएगा। डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन को प्राथमिकता के आधार पर इसका एक रोडमैप भी तैयार किया है। संगठन ने इसको लेकर कुछ दूसरी सिफारिशें भी की हैं।
संगठन के प्रमुख का कहना है कि वैक्सीन अब देशों को मुहैया करवाए जाने शुरुआती दौर में है। हालांकि उन्होंने वैक्सीन की रखरखाव को लेकर भी चिंता जताई है। उनका कहना है कि सरकारों को इन वैक्सीन को सुरक्षित बनाए रखने के उपाय करने होंगे। उनके मुताबिक डब्ल्यूएचओ इस बात पर निगाह रखे हुए है कि ठीक होने वाले मरीजों में एंटीबॉडीज आखिर कितने समय तक शरीर में बरकरार रहती है।
डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ अधिकारी और वैक्सीनेशन, वैक्सीन और बायोलॉजीकल्स विभाग की डायरेक्टर डॉक्टर कैथरीन ओ ब्रायन का कहना है कि कोविड-19 महामारी की वैक्सीन के बारे में लोगों को जागरुक करना और उन्हें इस बात का भरोसा दिलाना बेहद जरूरी है कि ये वैक्सीन सुरक्षित हैं, काफी जरूरी है। उन्होंने ये भी कहा है कि वैक्सीन और इसके फायदे के बारे में खुद अपनी राय विकसित करेंगे जो भविष्य में इसके लिए जरूरी इक्यूपमेंट जुटाने में सहायक साबित होंगी।
उन्होंने ये भी कहा है कि डब्ल्यूएचओ चाहता है कि वैक्सीन के जरिए लोगों को इसके पीछे की साइंस के बारे में भी जानकारी हासिल हो। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इससे लोगों को भरोसा दिलाने में मदद मिलेगी कि वैक्सीन सुरक्षित है। इस काम में कंपनियां, डॉक्टर, नर्स बखूबी कर सकते हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग भी इसमें मदद कर सकते हैं।