शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने अदाकारा कंगना रनोट (Kangana Ranaut) को नोटिस भेजकर किसान आंदोलन में शामिल पंजाब की बुजुर्ग महिला पर गलत शब्दावली का इस्तेमाल कर अपमान करने के मामले में माफी मांगने को कहा है। कंगना को दिए नोटिस में कहा गया है कि वह अपने ट्वीट के लिए माफी मांगे, नहीं तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और पंजाब के एक वकील हाकम सिंह की तरफ से भी कंगना को कानूनी नोटिस भेजे जा चुके हैं।
बता दें, किसान आंदोलन पर ट्विटर पर कथित टिप्पणी को लेकर कंगना रानोट प्रदर्शनकारियों के निशाने पर हैं। पंजाब में कंगना का जमकर विरोध हो रहा है। होशियापुर में कंगना के खिलाफ पोस्टर भी लगाए गए। इसके अलावा राज्य के अन्य हिस्सों में कंगना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
उधर, किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब ने आठ दिसंबर को भारत बंद के किसान संगठनों के आह्वान को सफल बनाने अपील की है। कृषि सुधार कानूनोंं के विरोध में किसानों ने जिले के विभिन्न गांवों में केंद्र सरकार के पुतले फूंके और प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र, पंजाब व हरियाणा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। तीस किसान संगठनों के साझे गठबंधन ने राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक के घर के बाहर प्रदर्शन कर केंद्र सरकार का पुतला फूंका। डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने भी सांसद मलिक के घर के बाहर प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार का पुतला फूंका।
किसान नेताओं सतनाम सिंह पन्नू, सरवन सिंह पंधेर, गुरबचन सिंह चब्बा और जर्मनजीत सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार जब तक तीनों कृषि सुधार कानूनों, बिजली संशोधन एक्ट 2020 और पराली एक्ट पूरी तरह रद करने का एलान नहीं करती तब तक केंद्र से किसानों की बातचीत सफल नहीं हो सकती। उन्हें पूरी उम्मीद है कि आठ दिसंबर को भारत बंद सफल रहेगा। किसानों ने गोल्डन गेट के पास जीटी रोड, मजीठा रोड, अजनाला रोड, टोल प्लाजा कत्थूनंगल, टोल प्लाजा मानांवाला के पास भी केंद्र सरकार के पुतले फूंके।
गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (जीएनडीयू) के बाहर पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन ललकार ग्रुप ने भी किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों ने केंद्र सरकार का पुतला फूंक कर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी विद्यार्थी मांग कर रहे थे कि कृषि सुधार कानूनों को रद किया जाए। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए छात्र नेता सिमरन ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि सुधार कानूनों को बनाने और इन लागू करने से पहले किसानों से कोई सलाह-मश्विरा नहीं किया। इन कानूनों को किसानों पर जबरदस्ती थोपा गया है। इसमें किसानों की राय जाननी जरूरी थी। किसानों से कानूनों को बनाने के वक्त उनके सुझाव लेने चाहिए थे। परंतु इन बातों को पूरी तरह नजर अंदाज किया गया।