कहा-शिक्षकों की डिग्रियों का लाभ बच्चों को मिले, नहीं थमें ज्ञान की परम्परा
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के 36,590 नवनियुक्त सहायक अध्यापकों को नियुक्ति-पत्र वितरण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने अलग-अलग जिलों में नवनियुक्ति शिक्षकों से संवाद किया और उन्हें नियुक्ति पत्र प्राप्त करने की बधाई दी। उन्होंने कहा कि अगर नवनियुक्त शिक्षक तन्मयता के साथ बच्चों को पढ़ाने का कार्य करेंगे तो बेसिक शिक्षा परिषद का इसे पूरा कायाकल्प हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से उनकी शिक्षा के बारे में जानकारी की। इस दौरान शिक्षकों ने उन्हें एमएससी, एमएड, बीएससी, बीटीसी आदि पाठ्यक्रमों के बारे में बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवनियुक्त शिक्षक अपने इस ज्ञान का लाभ बच्चों तक पहुंचाए। उन्होंने कहा कि पूरी इमानदारी के साथ शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया पूरी करते हुए नियुक्ति पत्र वितरण किए जा रहे हैं। हम लोगों ने मेरिट पर ही ध्यान दिया। कुछ लोग तमाम व्यवधान डालने का प्रयास डाले कोर्ट पहुंचे। लेकिन, कोर्ट ने मुहर लगाई कि प्रदेश सरकार की चयन प्रक्रिया अच्छी है और योग्य शिक्षक चयन के लिए यह आवश्यक हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसीलिए जब इतनी प्रतिबद्धता के साथ ही कार्य किया गया है तो हम लोग उम्मीद करेंगे कि नई शिक्षकों की डिग्रियों का लाभ बच्चों को प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि ज्ञान की परम्परा कभी थमनी नहीं चाहिए। एक शिक्षक को हमेशा कुछ ना कुछ सीखना चाहिए। देश और दुनिया में जहां कहीं कुछ नया आया है, हमें उधर देखने का प्रयास करना चाहिए। हम कूप मंडूक नहीं हो सकते और कोई व्यक्ति केवल ज्ञान को एक सीमित दायरे में रखने पर योग्य शिक्षक नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञान का एक विराट दायरा है इसलिए जहां कहीं अच्छा है, उसे अपने देश की सुरक्षा, परम्परा, सांस्कृतिक विरासत, इन सब को ध्यान में रखते हुए हमें अंगीकार करते हुए बच्चों तक ले जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त शिक्षकों से अपील की कि नियुक्ति की प्रक्रिया सामान्य प्रक्रिया नहीं है। पूरी दुनिया जब कोरोना के खतरे से डरी हुई है, तब उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षकों की लड़ाई लड़ रही थी। बेसिक शिक्षा परिषद ने चयन की प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता से आगे बढ़ाया। ऐसे में शिक्षक प्रदेश के अंदर गरीबों, हर तबके के बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए कार्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के 69,000 शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को आज सम्पन्न होना बहुत बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ईमानदारी पूर्वक कार्य करना अपने आप में एक चुनौती हो जाती है। पग पग पर बाधाएं आती हैं। उन्होंने युवाओं को बेसिक शिक्षा विभाग में रोजगार को लेकर कहा कि यह प्रक्रिया जनवरी 2019 में ही पूरी हो जाती। लेकिन, लोगों के एक के बाद एक न्यायालय में चले जाने के कारण मामला लटकता गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के अंदर 1,58,000 से अधिक बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में बहुत सारी जगह ऐसी थी, जहां या तो शिक्षक नहीं थे या एकल शिक्षक के द्वारा ही विद्यालय का संचालन किया जा रहा था। एक शिक्षक पांच-पांच कक्षाएं देख रहा था। उन्होंने कहा कि जब शिक्षक ना हो या वहां पर पठन-पाठन का माहौल ना हो शासन की सुविधाएं नहीं उपलब्ध हो और फिर हम उम्मीद करना कि शिक्षा के क्षेत्र में हम अपने प्रदेश को अग्रणी राज्यों में लेकर जाएं और दुनिया के विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की बात सोचें तो यह अपने आप में दिवास्वप्न था। उन्होंने कहा इसलिए प्रदेश सरकार ने एक-एक करके हर क्षेत्र में व्यापक करने का प्रयास किया और बेसिक शिक्षा परिषद हमारे सुधार का प्रमुख केन्द्र बिंदु बना, क्योंकि बेसिक शिक्षा परिषद में काफी संभावना है। पिछले तीन वर्षों के दौरान बेसिक शिक्षा परिषद में लगभग 50 लाख से अधिक अतिरिक्त बालक-बालिकाओं ने प्रवेश लिया है। कई राज्यों के लिए बहुत बड़ी संख्या है। ये बच्चे ऐसे थे जो स्कूल नहीं जा पाते थे। इनके साथ कोई संवाद बनाने वाला नहीं था। कोई बात करने और काउंसलिंग करने वाला नहीं था। बच्चों के पास कपड़े नहीं थे। इन्हें दो-दो यूनिफॉर्म,जूते-मोजे, स्वेटर देने की कार्रवाई सरकार ने आगे बढ़ाई। शासन की मंशा पूरी ईमानदारी के साथ योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति तक बिना भेदभाव के साथ पहुंचाने की है।