भारतीय-अमेरिकी नीरा टंडन इन दिनों चर्चा में हैं, उन्हें जो बाइडन की टीम में महत्वपूर्ण जगह मिल सकती है। बाइडन ने कहा कि नीरा टंडन बेहतरीन नीति बनाने में सक्षम हैं और उन्हें विभिन्न सरकारों के साथ काम करने का महत्वपूर्ण अनुभव भी हासिल है। बाइडन ने मंगलवार को व्हाइट हाउस के शीर्ष पद प्रबंधन एवं बजट कार्यालय निदेशक के लिए नीरा टंडन को नामित करने की आधिकारिक घोषणा करने के बाद यह बात कही है। अगर अमेरिकी सीनेट से भी इस पद के लिए टंडन के नाम को मंजूरी मिल जाती है, तो वह व्हाइट हाउस में प्रभावशाली ‘प्रबंधन और बजट कार्यालय’ की प्रमुख बनने वाली पहली अश्वेत महिला होंगी।
बाइडन ने बांधें तारीफों के पुल
बता दें कि टंडन वर्तमान में वामपंथी झुकाव वाले सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। बाइडन ने कहा, ‘प्रबंधन एवं बजट कार्यालय के निदेशक के पद के लिए, मैं नीरा टंडन को नामित करता हूं। मैं नीरा को काफी लंबे समय से जनता हूं। वह बेहतरीन नीति बनाने में सक्षम हैं और उन्हें विभिन्न सरकारों के साथ काम करने का महत्वपूर्ण अनुभव भी हासिल है।’ उन्हें उनकी मां ने अकेले पाला-पोसा। वे फूड स्टैम्प (संघीय खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम) पर निर्भर थे। उनकी मां भारत से आईं प्रवासी हैं, जिन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया, कड़ी मेहनत की और अमेरिका को लेकर अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए हर वह काम किया, जो वह कर सकती थीं। नीरा ने भी बिल्कुल वही किया। वह लाखों अमेरिकियों के समक्ष मौजूद परेशानियों को समझती हैं।’
नीरा टंडन ने साझा की अपनी मां की प्ररेणादायक कहानी
डेलावेयर के विलमिंगटन में बाइडन के सत्ता हस्तांतरण मुख्यालय में नीरा टंडन ने बताया, ‘नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की मां श्यामला की तरह मेरी मां माया का जन्म भी भारत में हुआ था। कई पीढ़ियों के लाखों लोगों की तरह, वह बेहतर जिंदगी की तलाश में अमेरिका आईं थी। मैं बोस्टन उपनगर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी। जब मैं पांच साल की थी तब मेरे माता-पिता का तलाक हो गया और मेरी मां पर दो बच्चों की जिम्मेदारी आ गई। यह ऐसा समय था, जब उनके पास कोई नौकरी भी नहीं थी। ऐसे में उनके यह विकल्प था कि वह भारत वापस चली जाएं। ये ऐसी जगह थी, जहां तलाक एक कलंक था और अवसर सीमित। मां के सामने दूसरा विकल्प ये था कि वह अपने अमेरिकी सपने के लिए लड़ती रहें। उन्होंने दूसरा विकल्प चुना और वह यहीं रुकी…. हम खाने के लिए ‘फूड स्टैम्प’ पर निर्भर थे। हम किराया भरने के लिए ‘सेक्शन 8’ (वाउचर) पर निर्भर थे। कुछ समय बाद उन्हें एक ट्रैवल एजेंट की नौकरी मिली। फिर उन्होंने बेडफोर्ड में घर लिया और अपने बच्चों की पढ़ाई पूरी कराई। मैं यहां आज अपनी मां का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं और साथ ही उस देश का भी जिसने हम पर विश्वास रखा।