राजकोट, अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली समेत कई राज्यों में बीते दिनों कोविड अस्पताल में आग जनित घटनाएं दर्ज की गई है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि इन घटनाओं के बाद भी क्षेत्र के सरकारी व गैर-सरकारी अस्पतालों में आपदा से निपटने के पर्याप्त इंतजाम देखने को नहीं मिलते है। कई अस्पतालों में अग्निशामक सिलेंडर की समय सीमा छह से सात माह पहले ही खत्म हो चुकी है, बीते एक साल के भीतर अस्पताल के कर्मचारियों को आपदा प्रबंधन की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है, अस्पताल परिसर में कहीं भी दिशासूचक बोर्ड नजर नहीं आते है, अस्पताल के गेट के आसपास पसरे अतिक्रमण के चलते अग्निशमन विभाग की टीम को कार्यवाई करने में असहूलियत हो सकती है, आपदा की स्थिति में भर्ती मरीजों को बाहर निकालने का यहां कोई इंतजाम नहीं है, ऐसे में यदि भविष्य में इन अस्पतालों में कोई आपदा घटित होती है तो अस्पताल में भर्ती मरीजों, तीमारदारों, चिकित्सकों समेत अन्य कर्मचारियों को भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
ऐसा नहीं है कि अस्पताल में कोरोना महामारी के कारण हालात ऐसे है, कोरोना महामारी से पहले भी अस्पतालों में आपदा प्रबंधन के इंतजाम नाकाफी ही नजर आते है। कई बार डीडीएमए को इस बावत आगाह करने के बाद भी सतर्कता नदारद है। आपदा प्रबंधन को लेकर अस्पतालों में एक विशेष कमेटी का गठन किया जाता है, जो समय-समय पर अस्पताल के तमाम कर्मचारियों व चिकित्सकों को ट्रेनिंग देती है पर ये कमेटी भी सक्रिय नजर आती है। कुल मिलाकर अस्पताल प्रशासन के साथ इसमें जिला प्रशासन व आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की लापरवाही को भी देखा जा सकता है। इस पर दक्षिण-पश्चिमी व पश्चिमी दोनों ही जिला प्रशासन ने इसे सकारात्मक रूप से स्वीकार करते हुए उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया है। वहीं अस्पताल प्रशासन इस पर चुप्पी साध लेता है।
मंगलवार को हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल का औचक निरीक्षण में पाया गया कि यहां लगे अग्निशामक सिलेंडर की समय सीमा 13 मई 2020 को ही खत्म हो चुकी है। ज्ञात हो डीडीयू अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए 100 आइसीयू बेड आरक्षित है। इसके अलावा अस्पताल के गेट पर अतिक्रमण की समस्या बड़ी समस्या थी, लेकिन अब अस्पताल परिसर में अव्यवस्थित ढंग से वाहनों की पार्किंग के कारण एक इमारत से दूसरी इमारत में प्रवेश मुश्किल हो गया है। ऐसे में अग्निशमन विभाग की टीम का प्रवेश कर बचाव कार्य को शुरू करना चुनौतीपूर्ण है।
वहीं महावीर एंक्लेव स्थित एक निजी अस्पताल की बात करें तो यहां 11 अप्रैल को समय सीमा समाप्त हो चुकी है। क्षेत्र में करीब-करीब सभी अस्पतालों की यही स्थिति है, इसका बड़ा कारण है फरवरी माह के अंत से ही प्रशासन व डीडीएमए टीम कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में व्यस्त है। इसके कारण अन्य सभी कार्य प्रभावित हो चले है। अगर आइसोलेशन सेंटर की बात करें तो वहां अग्निशमन घटना से निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। दक्षिणी-पश्चिमी जिला प्रशासन ने द्वारका सेक्टर-16बी स्थित दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के फ्लैट्स व पश्चिमी जिला प्रशासन ने बक्करवाला में आइसोलेशन सेंटर बनाए है। पर यहां तैनात किसी भी कर्मचारी को आपदा प्रबंधन से निपटने की कोई ट्रेनिंग नहीं मिली है।