बंगाल की खाड़ी से तमिलनाडु और पुडुचेरी की तरफ तेजी से बढ़ रहा ‘निवार’ चक्रवात भयंकर रूप ले चुका है। तूफान से तबाही की आशंका को देखते हुए एनडीआरएफ के 1200 जवानों को अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है। भारत में तूफान की वजह से होने वाली तबाही कोई नई बात नहीं है। लोग पहले भी कई तूफानों की विनाश लीला को देख चुके हैं। भारत के तटीय इलाकों में तूफानों की वजह से हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, जबकि लाखों लोगों के अशियानों को तूफान ने तबाह कर के रख दिया।
एम्फन ने मचाई भारी तबाही
कोरोना काल में भारत के तट से टकराने वाला निवार अकेला तूफान नहीं है। इससे पहले मई में ‘एम्फन’ तूफान और जून में ‘निसर्ग’ ने भीषण तबाही मचाई थी। एम्फन का सबसे ज्यादा असर पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में देखने को मिला। तूफान से करीब 1.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए, जबकि भारत और बांग्लादेश में करीब 102 लोगों की मौत हुई। इस दौरान हवा की रफ्तार 130-140 किमी प्रति घंटे की रही।
ओडिशा पर फानी का कहर
साल 2019 में ‘फानी’ तूफान ने ओडिशा में भारी तबाही मचाई थी। तूफान की चपेट में आने से 72 लोगों की मौत हुई थी। फानी को भी 1999 के सुपर साइक्लोन जितना खतरनाक माना गया था। ओडिशा में 120 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं की वजह से बड़े पेड़ जड़ों समेत उखड़ गए, बसें पलट गईं, घरों के दरवाजे और खिड़कियां टूटकर अलग हो गईं।
दक्षिण भारत में वर्धा तूफान
2016 में 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आए ‘वर्धा’ चक्रवात ने दक्षिण भारत में तबाही मचाई थी। भारत में इस तूफान की वजह से 18 लोगों की मौत हुई थी, जबकि लाखों पेड़ तबाह हो गए थे। इस तूफान की वजह से सबसे ज्यादा तबाही चेन्नई और अंडमान निकोबार में हुई थी। चेन्नई में कई दिनों तक एयरपोर्ट बंद रहे थे।
हुदहुद की तेज रफ्तार
2014 में आए’ हुदुहुद’ तूफान ने भी भारी तबाही मचाई थी। 185 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार वाले इस तूफान ने आंध्रप्रदेश में विशाखापट्टनम, ओडिशा और उत्तर प्रदेश को हिला कर रख दिया था। इस तूफान की वजह से 124 लोगों की मौत हुई थी। वहीं, यूपी में 18 लोगों की जान गई थी। इस तबाही से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 1000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया था।
फैलिन का बिहार तक असर
अक्टूबर, 2013 में आए ‘फैलिन’ तूफान में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इसकी वजह से करीब एक करोड़ से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे। करीब 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाले इस तूफान का असर आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और बिहार तक हुआ था। भारत के अलावा इस तूफान से प्रभावित होने वाले देशों में नेपाल भी था।