जायसवाल क्लब ने जलाए सहस्त्रबाहु अर्जुन के नाम पर एक हजार दीए

भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन एवं श्रद्धेय काशी प्रसाद की जयंती पर निःशुल्क चिकित्सा शिविर

वाराणसी। जायसवाल क्लब के तत्वावधान में रविवार को कलचुरी, कलाल, कलवार समाज के एक हजार भुजाओं वाले कुलदेवता भगवान राजराजेश्वर सहस्त्रबाहु अर्जुन की जयंती धूमधाम मनाया गया। इस मौके पर पचकोसी रोड स्थित श्रीराम डिग्री कालेज परिसर में आयोजित समारोह में सायंकाल क्लब के सदस्यों ने एक हजार दीए जलाकर उन्हें याद किया। क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने बताया कि सहस्त्रार्जुन भगवान विष्णु के चक्रावतार थे। उनके एक हजार भुजाएं थी। इसलिए क्लब की ओर से मनाएं जा रहे उनकी जयंती पर एक हजार दीए जलाए गए। श्री जायसवाल ने कहा कि इस साल क्लब की ओर से भगवान सहस्त्राबाहु एवं समाज के श्रद्धेय काशी प्रसाद जायसवाल की जयंती सेवा सप्ताह के रुप में मनाया जा रहा है। इस क्रम में पहले दिन शनिवार को जगतगंज कार्यालय में भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन की पूजन अर्चन, हवन एवं दीप प्रज्जवलन के बाद लॉकडाउन के दौरान बच्चों द्वारा आयोजित ऑनलाइन चित्रकारी प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया गया।

कार्यक्रम के दुसरे दिन शनिवार को कालेज परिसर में आयोजित सुबह 9 से दोपहर दो बजे तक गौरी हास्पीटल के डा एसके जायसवाल की देखरेख में विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा पास-पड़ोस के विभिन्न तरह के मरीजों का निशुल्क परीक्षण व दवा वितरित किया गया। सायंकाल श्रद्धेय काशी प्रसाद जायसवाल की जयंती के मौके पर दीप प्रज्जवलन के बाद गोष्ठी में उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी। इस दौरान समाज के तेजतरर्रार व समाजसेवा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले प्रशासनिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं, चिकित्सकों, पत्रकारों एवं कोरोना योद्धाओं को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में गौरी हास्पीटल के डा एसके जायसवाल (फिजीसियन), डा आशा जायसवाल (स्टूडेंट एमबीबीएस), डा आलोक रंजन दुबे, डा अविनाश मिश्रा, डा नीला विशालक्ष्मी, डा सुनील दुबे एवं दीर्घायु हास्पीटल के डा शिव कुमार जायसवाल, प्रयागराज से आए पीसीएस शिशिर जायसवाल, एडवोकेट अनिल जायसवाल, संजय जायसवाल, कृष्णा जायसवाल व हाईकोर्ट की सीनियर एडवोकेट ममता जायसवाल आदि शामिल है।

सायंकाल श्रद्धेय काशी प्रसाद जायसवाल की जयंती के मौके पर गोष्ठी में उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी। इस दौरान समाज के तेजतरर्रार व समाजसेवा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले प्रशासनिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं, चिकित्सकों, पत्रकारों एवं कोरोना योद्धाओं को सम्मानित किया गया। इस दौरान समाज के लोगों ने श्रद्धेय काशी प्रसाद की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके बाद दीवाली मिलन कार्यक्रम के तहत लोगों ने एक दुसरे को बधाई दी। अंत में भगवान सहस्त्राबाहु के तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया। उसके बाद विधि-विधान ने उनकी पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान उनके नाम पर एक हजार दीए जलाएं गए। श्री मनोज जायसवाल ने कहा कि जिस प्रकार से हम लोगों द्वारा आज दीप जला कर सहस्त्राबाहु को याद किया जा रहा है उसी प्रकार से समाज में विकास की रोशनी बिखेर कर ही उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है। वे हम सभी युवाओं के प्रेरणात्मक है। आज भी उनके आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने दुनिया में भारतीय संस्कृति के साथ साथ समाज का मान सम्मान दिलाया। उनका रहन-सहन पहनावा इतना साधारण था कि उनके ज्ञान और उनके व्यक्तित्व के पीछे ये चीजें मायने नहीं रखती थी। हम सभी युवाओं को उनके मार्ग स्वरूप चलकर देश को उन्नत एवं सशक्त राष्ट्र बनाने की जरूरत है।

श्री मनोज जायसवाल ने भगवान सहस्त्राबाहु के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, वे हैहय वंश के राजा थे। उनकी मां रानी पद्मिनी और पिता राजा कृतवीर्य थे। वे भगवान दत्तात्रेय के अनन्य भक्त थे। अपने तप के बल पर कई वरदान प्राप्त किया था। उनके एक हज़ार अक्षौहिणी सेना थी। महाभारत, वेद ग्रंथों तथा कई पुराणों में सहस्रबाहु की कई कथाएं पाई जाती हैं। पुराणों के अनुसार प्रतिवर्ष सहस्रबाहु जयंती कार्तिक शुक्ल सप्तमी को दीपावली के ठीक बाद मनाई जाती है। श्री जायसवाल ने सहस्त्रबाहु अर्जुन की जीवनी न्याय लेने के लिए अन्याय से लड़ने की सीख देती है। भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन के जीवन चरित्र पूरे मानव जाति के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने कहा कि सामाजिक एवं राजनीतिक उत्थान के लिए एकजुटता अनिवार्य है। जब तक समाज के लोग एकजुट नहीं होंगे, तब तक सामाजिक कुरीतियों को दूर नहीं कर सकते हैं। श्री जायसवाल ने सामज के लोगों से उनके बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हुए समाज में एकजुटता बनाये रखने की अपील की। साथ ही सामाजिक कुरीतियों को दूर करते हुए सभ्य समाज का निर्णय लिया। कार्यक्रम के अंत में स्नेह भोज का आयोजन किया गया।

इस दौरान मनोज जायसवाल ने भारत सरकार से मांग की है कि डॉ. काशीप्रसाद जायसवाल को मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया जाएं। इसके अलावा उनकी जयंती को इतिहास दिवस के रुप में घोति करने, जिलों में उनकी मूर्ति लगाने, राजधानी से लेकर जिलों में उनके नाम पर सड़क का नामकरण करने व उनके नाम पर मुद्रा के रुप में क्वाइन जारी करने, स्कूल, कालेज, विश्व विद्यालय खोलने, एनसीआरटी में उनकी जीवनी को पढ़ाने की भी मांग प्रदेश व केन्द्र सरकार से की। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष नंदलाल जायसवाल, मदनलाल जायसवाल, लक्ष्मण जायसवाल, प्रोफेसर केके जायसवाल, कृपाशंकर जायसवाल, भगवानदास जायसवाल, राजकुमार जायसवाल, गोपालजी जायसवाल, विजय जायसवाल, धरमेन्द्र जायसवाल, प्रशांत जायसवाल, शरद जायसवाल, अजय जायसवाल, लक्ष्मीनारायण जायसवाल, रमेश जायसवाल, जीत जायसवाल, अरविन्द जायसवाल, नीरज जायसवाल, प्रदीप जायसवाल, प्रमोद जायसवाल, संजीव जायसवाल, मुरली जायसवाल, रीना जायसवाल, प्रीति जायसवाल, जितेंद्र जायसवाल, रोहित जायसवाल, कृष्णा जायसवाल आदि मौजूद थे। संचालन रवि जायसवाल व धन्यवाद ज्ञापन लक्ष्मी नारायण जायसवाल ने किया

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