प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री और तस्करी में लिप्त अपराधियों की सजा बढ़ाने के लिए एक्ट में संशोधन की तैयारी चल रही है। इस पर अभी गृह और न्याय विभाग कार्यवाही कर रहा है। माना जा रहा है कि जल्द ही एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष लाया जा सकता है। इसके अलावा थाने से जमानत दिए जाने के प्रविधान को भी समाप्त करने की तैयारी है।
प्रदेश में बीते वर्षों में अवैध शराब के कारोबार ने गति पकड़ी है। इतना ही नहीं, अब जो कच्ची शराब बनाई जा रही है, उसमें भी जम कर मिलावट की जा रही है। बीते वर्ष शराब के दो ऐसे प्रकरण सामने आए, जिनमें शराब पीने से 60 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई। इन प्रकरणों की जांच में एक बात सामने आई कि अवैध शराब की तस्करी करने वालों को आसानी से थाने से ही जमानत मिल जाती है।
इसके अलावा पुलिस कई बार बड़े मामलों में अपराधियों को इसलिए भी गिरफ्तार नहीं कर पाती, क्योंकि वे सीआरपीसी की धारा 41 ए का लाभ पाते हैं। इस धारा के तहत ऐसे मामले, जिनमें सात साल से अधिक की सजा का प्रविधान है, उनमें अपराधियों को पहले नोटिस जारी करना होता है। इसे देखते हुए बीते वर्ष मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन दोनों ही प्रविधानों को अधिक सख्त करने को कहा था।
उन्होंने निर्देश दिए थे कि अवैध शराब की बिक्री व तस्करी में बार-बार लिप्त पाए जाने वाले अपराधियों को थाने से जमानत न दी जाए। जिनके पास मात्रा में शराब पाई जाती है, उन्हें भी कड़ी सजा दिलाने का प्रविधान किया जाए। इसके लिए गृह व न्याय विभाग को कार्ययोजना बनाने को कहा गया था। इस पर काम आगे शुरू होता कि कोरोना संक्रमण के मामले आने शुरू हो गए। इस कारण इसकी रफ्तार सुस्त हो गई थी। अब इस पर फिर से कवायद तेज हो गई है।