कोविड-19 ने लगाया शरणार्थियों की पुनर्वास प्रक्रिया पर ब्रेक, दो दशकों में सबसे कम रहा आंकड़ा

इस वर्ष के शुरुआती 9 माह के दौरान पुनर्वासितों की संख्‍या में जबरदस्‍त गिरावट दर्ज की गई है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) की एक ताजा रिपोर्ट में इस बात की जानकारी सामने आई है। यूएनएचसीआर के मुताबिक वर्ष 2019 के शुरुआती नौ माह में जहां 50 से अधिक शरणार्थियों को पुनर्वासित किया गया था वहीं इस बार ये संख्‍या महज 15425 है। एजेंसी में इस काम का जिम्‍मा संभाल रही असिसटेंट हाई कमिश्‍नर गिलियन ट्रिग्‍गस का कहना है कि मौजूदा आंकड़े दो दशकों में सबसे कम हैं। ये संगठन के उन प्रयासों को जबरदस्‍त झटका है जो शरणार्थियों के तौर पर जीने वाले और जोखिमों का सामना करने वालों का जीवन बचाने में जुटा है।

इन्‍हें किया गया पुनर्वासित 

यूएनएचसीआर के आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा वर्ष में सबसे अधिक सीरियाई नागरिकों को पुनर्वासित किया गया है, जो करीब 40 फीसद से कुछ अधिक हैं। इसके बाद अफ्रीकी देश कांगो के लोग हैं जिनकी तादाद करीब 16 फीसद है। इसके बाद आने वालों में इराक, म्‍यांमार और अफगानिस्‍तान से आए शरणार्थियों को पुनर्वासित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार जनवरी-सितंबर के बीच करीब 15 हजार लोगों को हिंसा का शिकार होना पड़ा है। वहीं वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह पुनर्वासितों की संख्‍या में गिरावट की बात सामने आई है।

कोविड-19 ने लगाया पुनर्वास पर ब्रेक 

इसमें कहा गया है कि इसकी वजह से लगे वैश्विक लॉकडाउन के चलते शरणार्थियों को दूसरे देशों में भेजना मुश्किल हो गया। इस वजह से इन्‍हें पुनर्वासित भी नहीं किया जा सका। लीबिया में इस महामारी की वजह से शरणार्थियों को दी जाने वाली सहायता में भी कमी आई है। रुआंडा में मौजूदा करीब 280 शरणार्थियों को इसकी वजह से इमरजेंसी सेंटर्स में भेजा गया। इनको अभी तक पुनर्वासित होने का इंतजार है। यहां पर ऐसे और 354 लोग भी है जो इसकी बाट जोह रहे हैं। इस वैश्विक समस्‍या के बाद 15 अक्‍टूबर से दोबारा पुनर्वासित प्रक्रिया को शुरू किया जा सका है।

पुनर्वास को तरजीह 

गौरतलब है कि लेबनान की राजधानी बेरूत के बंदरगाह पर हुए जबरदस्‍त धमाके की वजह से बड़ी संख्‍या में शरणार्थी शिविर प्रभावित हुए थे। लॉकडाउन खुलने के बाद कई देशों ने शरणार्थियों को पुनर्वासित करने को तरजीह दी है। अगस्‍त-सितंबर के दौरान लेबनान में मौजूद करीब एक हजार शरणार्थियों को 9 अलग-अलग देशों में पुनर्वासित करने के लिए भेजा गया है। शरणार्थियों पर निगाह रखने वाली यूएन की इस एजेंसी ने वर्ष 2020 में पुनर्वासित करने के लिए आए 31 हजार आवेदनों को 50 देशों में भेजा है। इसके बाद भी केवल आधों को ही सफलतापूर्वक पुनर्वासित किया गया है। जो शरणार्थियों को पुनर्वासित करने की प्रक्रिया में एक बड़ा झटका माना जा रहा है। यूएनएचसीआर ने विभिन्‍न देशों से इस प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया है, जिससे इन लोगों का जीवन बचाया जा सके।

पुनर्वास की कानूनी प्रक्रिया

गिलियन का कहना है कि यूएन एजेंसी के माध्‍यम से पुनर्वास के लिए किए गए आवेदनों से इन शरणार्थियों को जोखिम भरी गैरकानूनी यात्राओं से छुटकारा मिल जाता है। शरणार्थियों के आवेदनों को यूएनएचसीआर के माध्‍यम से विभिन्‍न देशों में भेजा जाता है। ये वो देश होते हैं जो इन्‍हें स्‍वीकार करते हैं। एक बार उस देश से सहमति हासित होने के बाद शरणार्थियों को वहां पर भेज दिया जाता है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि यूएन जनरल असेंबली ने वर्ष 2018 में शरणार्थियों पर ग्‍लोबल कॉम्‍पैक्‍ट का अनुमोदन किया था। इसमें सभी देशों से इसका हिस्‍सा बनने की अपील भी की गई थी।

पूरा नहीं हुआ लक्ष्‍य 

एजेंसी के मुताबिक वर्ष 2019 में भी उसकी कोशिश दो करोड़ शरणार्थियों को विभिन्‍न देशों में पुनर्वासित करने की थी, लेकिन इसमें वो कामयाब नहीं हो सकी। एजेंसी के मुताबिक पूरे प्रयास के बाद भी हर वर्ष करीब एक फीसद ही शरणार्थियों को पुनर्वासित करना संभव होता है। मौजूदा समय में भी करीब 14 लाख से अधिक शरणार्थियों को पुनर्वासित किए जाने की जरूरत है। इनमें अफ्रीका में 6 लाख से अधिक, यूरोप में चार लाख से अधिक, मध्‍य पूर्व उत्‍तर अफ्रीका में करीब ढाई लाख शरणार्थी शामिल हैं।

 

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