दिल्ली से गिरफ्तार जैश के आतंकियों से पूछताछ में उनका देवबंद से कनेक्शन सामने आया है। इसी के चलते दिल्ली पुलिस इन आतंकियों को आज देवबंद लेकर रवाना हो गई है। वहां ले जाकर उनसे पूछताछ की जाएगी।
गौरतलब है कि सोमवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राजधानी में बड़े आतंकी हमले को नाकाम करते हुए आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के दो संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार किए थे। इन आतंकियों से पूछताछ के दौरान इनके मोबाइल से भी काफी सबूत मिले हैं। पता चला है कि इन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा था।
आतंकियों के इस ग्रुप का नाम जिहाद था। इसमें पाकिस्तान का भी एक शख्स जुड़ा था जिसके इशारे पर ये काम कर रहे थे। इसमें देवबंद, दिल्ली और तेलंगाना के लोग भी जुड़े थे। दोनों आतंकी देवबंद भी काफी दिन रुके थे इसीलिए पुलिस इन्हें देवबंद ले जा रही है।
देवबंद में हथियार चलाने व विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग लेते थे
दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के कथित आतंकी अब्दुल लतीफ मीर व मो. अशरफ खटाना आतंकी ट्रेनिंग के लिए दिल्ली होकर देवबंद, यूपी जा रहे थे। यहां पर इनको हथियार चलाने और विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग दी जाती थी।
आरोपी देवबंद में आतंकी वारदातों की छोटी ट्रेनिंग लेकर बड़ी ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान जाते थे। ये यूपी होकर नेपाल के रास्ते पाकिस्तान में प्रवेश करते। स्पेशल सेल जम्मू कश्मीर के इन गिरफ्तार युवाओं के खिलाफ आतंकी संगठन से जुड़े होने के सबूत जुटा रही है।
स्पेशल सेल के एक बड़ी अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान में बैठे जैश के हैंडलर ने इनको यूपी जाने के लिए कहा था। इनको कहा था कि देवबंद, यूपी में उन्हें उनका आदमी मिलेगा तो उन्हें यूपी में आतंकवाद की छोटी ट्रेनिंग दिलवाएगा। यह व्यक्ति उन्हें आतंकवाद की बड़ी ट्रेनिंग के लिए यूपी से पाकिस्तान भिजवाएगा।
देश के खुफिया विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि ये बहुत ही चिंता की बात है कि यूपी में आतंकी ट्रेनिंग दी जा रही है। ये बात भी देखने में आई कि पहले गिरफ्तार किए गए आतंकियों ने यूपी से ही हथियार लिए थे। स्पेशल सेल के अधिकारी का ये भी कहना है कि इनको एक आदमी दिल्ली में मिलता जो इन्हें यूपी ले जाता और यूपी में वह दूसरे व्यक्ति के हवाले कर देता।
स्पेशल सेल के पुलिस अधिकारियों के अनुसार पूछताछ में ये बात भी सामने आई है कि ये पिछले छह-आठ महीने से जेहादी बने थे। ये इस कदर जेहादी बन गए थे कि ये किसी भी सूरत में आतंकी बनना चाहते थे। शुरूआती जांच में ये बात सामने आई है कि धारा 370 को खत्म करने के बहुत खिलाफ हैं और ये जम्मू कश्मीर की स्वतंत्रता के लिए लड़ना चाहते थे।
इन्होंने सितंबर व अक्तूबर में तीन बार पाकिस्तान जाने की कोशिश की थी, मगर बॉर्डर पर सख्ती होने के कारण ये पाकिस्तान नहीं जा पाए थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल दिल्ली व यूपी में छिपे इनके संपर्कों की तलाश कर रही है और दिल्ली व यूपी में छापेमारी की जा रही है।
स्पेशल सेल के पुलिस अधिकारियों के अनुसार गिरफ्तार आतंकियों ने पूछताछ में बताया है कि वो सोशल मीडिया पर मौलाना मसूद अजहर को सुनते थे और जम्मू-कश्मीर की आजादी के लिए, पूरी दुनिया में इस्लाम फैलाने के लिए उनसे जुड़ना चाहते थे। वह न्यूज चैनलों पर दुनिया भर के मुस्लिमों के साथ क्रूरता की खबरें सुनते थे और अरशद मदनी, मौलाना मुफ्ती फैजुल वाहिद साहब द्वारा देवबंद में दिए गए व्याख्यान और मुफ्ती मुजफ्फर हुसैन, नजीर अहमद साहा काशी को जम्मू कश्मीर में पढ़ते थे। इन सबको सुनते-सुनते ये जेहादी बनते चले गए। ये इस कदर जेहादी हो गए कि जम्मू कश्मीर की स्वतंत्रता के लिए लड़ना चाहते थे।
अब्दुल लतीफ मीर ने मो. अशरफ खटाना व अन्य जेहादी युवाओं के साथ बॉर्डर से पाकिस्तान जाने की कोशिश की थी। मगर ये सफल नहीं हो पाए थे। करीब चार महीने पहले ये फेसबुक मैसेंजर के जरिए लाहौर में बैठे हैंडलर अफताब मलिक के संपर्क में आया। इसके बाद ये अफताब से व्हाट्सएप कॉल करने लगा। अफताब ने ही उसे फेसबुक प्रोफाइल पर मौलाना मसूद अजहर की फोटो लगाने को कहा था। इन्हें ये भी बताया जाता था कि अजहर कैसे जम्मू कश्मीर के लिए लड़ाई लड़ रहा है। अफताब ने इनको आपत्तिजनक साहित्य भेजा था। अब्दुल लतीफ के कहने पर अफताब ने उसे पाकिस्तान अजहर के पास आने को कहा था। इसके बाद इन्होंने पाक जाने की कोशिश की थी।
आतंकियों ने बताया कि वह अफताब के जरिए जैश के पाकिस्तान के एक गुर्गे के संपर्क में आए। उसने बॉर्डर क्रॉस कराने की बात कही थी। उसने ही इनको यूपी जाने को कहा था। यहां कुछ दिन की ट्रेनिंग के बाद पाकिस्तान आने की बात कही थी। इनको हथियार कुपवाड़ा में इनके एक साथी ने ही दिए थे।
दो मोबाइल फोन, आधार कार्ड, कपड़ों का बैग, मो. अशरफ खटाना का मदरसा का आईकार्ड, जेएण्डके बैंक का डेबिट कार्ड, अब्दुल लतीफ मीर का वोटर कार्ड, जेएण्डके ग्रामीण बैंक का डेबिट कार्ड। इसके अलावा इनके मोबाइल से आपत्तिजनक जेहादी ऑडियो, वीडियो फाइल व साहित्य मिला है।
स्पेशल सेल के पुलिस अधिकारियों के अनुसार अब्दुल लतीफ मीर के पिता सोपोर जिला कोर्ट में मुंशी हैं। ये पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई करने के बाद दारूल उल्मा बिलालिया शाक मदरसा खेरम्बार श्रीनगर चला गया था। अशरफ खटाना के पिता जेएण्डके एलआई से रिटायर हैं। वर्ष 2012 में इसने पढ़ाई छोड़ दी और उसके बाद दारूल उल्मा बिलालिया शाक मदरसा खेरम्बार श्रीनगर चला गया। यहां पर ये अब्दुल लतीफ मीर के संपर्क में आया। यहां इसको गांव वाले व अन्य लोगों ने जेहादी बनाया।