मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन के साथ जीटीबी अस्पताल का दौरा किया और कोरोना से निपटने की व्यवस्था की जानकारी ली। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अगले कुछ दिनों में अपने अस्पतालों में 663 आईसीयू बेड बढ़ाएगी। इसमें से अगले दो दिनों के अंदर 232 आईसीयू बेड जीटीबी अस्पताल में बढ़ाए जाएंगे। साथ ही केंद्र सरकार भी दिल्ली को 750 आईसीयू बेड देने का भरोसा दिया है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बावजूद शानदार तरीके से संभालने के लिए दिल्ली सरकार के अस्पतालों के डाॅक्टरों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के मार्केटों में भीड़ का आंकलन करेंगे, अगर जरूरत पड़ेगी, तभी एक-दो मार्केटों को कुछ दिन के लिए बंद करेंगे, लेकिन अभी कोई भी मार्केट बंद नहीं कर रहे हैं। हमारे लिए एक तरफ दिल्ली कोरोना के संक्रमण पर काबू पाना जरूरी है और दूसरी तरफ लोगों की रोजी रोटी और अर्थ व्यवस्था को बचाना भी बहुत जरूरी है। सीएम ने राजनीतिक दलों से अपील करते हुए कहा कि इस वक्त दिल्ली कठिन परिस्थति से जूझ रही है, यह वक्त अभी राजनीति का नहीं, बल्कि सेवा करने का है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘आज जीटीबी अस्पताल का दौरा किया। डॉक्टरों ने अगले 2 दिनों में अतिरिक्त 232 आईसीयू बेड बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। हम दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों में अगले कुछ दिनों में कुल 663 आईसीयू बेड बढ़ाएंगे। केंद्र सरकार भी 750 आईसीयू बेड बढ़ा रहा है। कोरोना के इतने केस आने के बावजूद हमारे डाॅक्टरों ने बहुत शानदार तरीके से स्थिति को संभाला है।’
अस्पतालों में बेड उपलब्ध, आईसीयू बेड की कमी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम सभी देख रहे हैं कि पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामले काफी बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी दिल्ली में कोरोना बेड़ की स्थिति ठीक-ठाक है। सभी अस्पतालों में अभी कोविड बेड खाली हैं। कुछ बड़े निजी अस्पतालों को छोड़ दें, तो लगभग सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में बेड उपलब्ध हैं। सीएम ने कहा कि अस्पतालों में आईसीयू बेड की काफी कमी हो गई है। पूरी दिल्ली के अंदर आईसीयू बेड काफी कम बचे हैं। इस वक्त मशक्कत यह है कि आईसीयू बेड की कमी को किस तरह से पूरा किया जाए।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं अभी जीटीबी अस्पताल प्रबंधन और उसके डॉक्टर के साथ बैठक करने के लिए आया था। जीटीबी अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने जीटीबी अस्पताल में तत्काल 232 आईसीयू बेड बढ़ाने के लिए तैयार हो गए हैं और परसों तक 232 आईसीयू बेड बढ़ा दिए जाएंगे।
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने दिल्ली के बाकी अस्पतालों के साथ भी बैठक की है। दिल्ली सरकार के जो अस्पताल हैं, उनमें अगले कुछ दिनों के अंदर 663 आईसीयू बेड अगले कुछ दिनों में बढ़ा दिए जाने की उम्मीद है। इसमें जीटीबी अस्पताल के 232 आईसीयू बेड भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने हमें 750 अतिरिक्त आईसीयू बेड डीआरडीओ में देने का भरोसा दिया है। इसके लिए हम केंद्र सरकार के शुक्रगुजार हैं। दोनों मिलाकर अगले कुछ दिनों के अंदर लगभग 1400 के करीब अतिरिक्त आईसीयू बेड तैयार हो जाएंगे। इससे उम्मीद है कि आईसीयू बेड की भी कमी दूर हो सकती है।
अस्पतालों में बेड नहीं होने से हो सकती है बड़ी घटनाएं
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस वक्त हमारे सामने दो चीजे हैं। एक, हमें अलग-अलग कदम उठाकर कोशिश यह करनी है कि कोरोना का संक्रमण कैसे कम हो और दूसरा यह कि कोरोना के मरीजों को कैसे सही समय पर अच्छे से अच्छा इलाज मिल सके। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं इस समय दिल्ली में कोरोना के मामले काफी ज्यादा हैं। साथ ही यह भी कहना चाहूंगा कि अगर आप दुनिया के दूसरे शहर न्यूयॉर्क, स्वीडन, इटली, फ्रांस को देखिए। आप सभी को याद होगा, उस वक्त जो वीडियो आए थे और उस वक्त की जो तस्वीरें थीं, वहां पर भी बड़े संख्या में कोरोना के मरीज थे। मुझे याद है कि न्यूयॉर्क में लगभग 6300 के करीब मामले आए थे तो कॉरीडोर के अंदर और सड़कों पर मरीज पड़े थे। मरीजों को अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं हो रहे थे। जब न्यूयार्क में करीब 6300 मरीज आए थे, तो उस दिन करीब 550 मौत हुई थी।
डाॅक्टरों की सराहना
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारे दिल्ली के डॉक्टरों ने बहुत शानदार काम किया है। दिल्ली के अंदर मामले ज्यादा हैं, लेकिन हमारे डॉक्टर और नर्स इन हालातों को बेहद शानदार तरीके से संभाल रहे हैं। आज आपको दिल्ली में किसी भी अस्पताल में कॉरिडोर के अंदर और सड़कों के ऊपर मरीज पड़े हुए नहीं मिले रहे। सबको सही समय पर अच्छा इलाज मिल रहा है। हमारे डॉक्टर 24 घंटे मेहनत कर रहे हैं और हालात को संभाल रहे हैं। अभी जब मैं इनसे बात करा था, तो सभी डॉक्टर्स ने कहा कि ठीक है, हम 250 बेड़ बढ़ा देंगे। मैं उनकी प्रतिक्रिया से एकदम प्रभावित हुआ, क्योंकि अभी इनके पास 168 आईसीयू बेड हैं और एकदम से 232 बढ़ाकर 400 करना, कोई आसान काम नहीं है, वह भी 2 दिन के अंदर। हमारे डॉक्टरों ने जिस तरह से हालात को संभाला है और दिल्ली के अंदर कोरोना का जो प्रबंधन है, मैं समझता हूं कि हमारे डॉक्टरों ने न्ययॉर्क, स्वीडन, फ्रांस, इटली सब जगह से अच्छा प्रबंधन किया है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन के सवाल पर कहा कि मैंने कल उप राज्यपाल के पास एक प्रस्ताव भेजा था कि शादियों में 200 लोगों को शामिल होने की जो अनुमति दी थी, उसे कम कर के 50 कर दिया जाए। एलजी साहब ने उस प्रस्ताव को मंजूर कर दिया है।
मार्केटों को कुछ दिन के लिए कर सकते हैं बंद
मैंने दूसरा प्रस्ताव एलजी साहब के पास भेजा था कि हम केंद्र सरकार से अनुमति मांगें कि अगर जरूरत पड़े, तो एक दो बाजार को बंद कर सकें। अभी हम बंद नहीं कर रहे हैं। दिवाली के समय पर हमने देखा कि कुछ बाजार ऐसे थे, जहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा था। कुछ बाजार ऐसे थे, जहां पर भीड़ बहुत ज्यादा थी और लोग मास्क पहने हुए दिखे थे। ये मार्केट एक तरह से कोरोना के हॉटस्पॉट बन सकते थे। दिवाली के समय पर कुछ बाजारों में बहुत ज्यादा भीड़ थी। आने वाले चंद दिनों में देखेंगे कि कैसे हालात हैं।
अगर बाजार बंद करने की जरूरत नहीं है, तो बिल्कुल बंद नहीं करेंगे। हमारे लिए एक तरफ कोविड को संभालना जरूरी है और दूसरी तरफ लोगों की रोजी-रोटी और अर्थव्यवस्था को बचाना भी बहुत जरूरी है। जब तक बहुत ज्यादा जरूरी नहीं होगा, तब तक मार्केट बंद नहीं करेंगे। पहले हम दूसरी कोशिशें करेंगे। अगर किसी बाजार को बंद करना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है, तो हम उसके बारे में सोच सकते हैं, लेकिन अभी हमने केंद्र सरकार से अनुमति के लिए लिखा है।
राजनीति करना सही नहीं
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारे डॉक्टर और नर्स बहुत मेहनत कर रहे हैं। दिल्ली के अंदर इस वक्त बहुत कठिन परिस्थिति हैं, क्योंकि इतना ज्यादा कोरोना फैल गया है। यह वक्त राजनीति का नहीं है। हमें राजनीति नहीं करनी चाहिए, यह वक्त सेवा का है। आप चाहे किसी भी पार्टी से हों, लेकिन आप सभी लोग इंसा नही हैं। एक इंसान को कठिन परिस्थितियों में अगर दूसरा बीमार हो, तो उसकी सेवा करनी चाहिए। ऐसे मौके पर इस तरह की गंदी राजनीति करना सही नहीं है। इस वक्त दिल्ली के अंदर कितना सुंदर वातावरण है। केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, डीआरडीओ, आईसीएमआर, ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट सारे मिलकर काम कर रहे हैं। ऐसे में सारी पार्टियां मिलकर काम क्यों नहीं कर सकती हैं, सभी मिलकर काम कर सकती हैं।
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अन्य स्मारकों से किसी मायने में कम नही है सफदरजंग का मकबरा
वी.के.शुक्ला,नई दिल्ली
यूं तो राजधानी बहुत कुछ देखने के लिए है। मगर सफदरंज का मकबरा भी किसी मायने में अन्य स्मारकों से कम नहीं है। यहां खास यह है कि इस मकबरे में कई मंडप हैं जिन्हें अलग अलग नामों से जाना जाता है। जिनमें तीन प्रमुख हैं। एक जंगल महल (पैलेस ऑफ वुड्स) है दूसरा मोती महल (पर्ल पैलेस) और तीसरा बादशाह पसंद (किंग्स फेवॅरिट) है। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत राष्ट्रीय स्मारक है। अगर आप सोच रहें हैं कि सफरदजंग कोई बादशाह था, तो आप गलत हैं। दरअसल वह मुगल बादशाह मुहम्मद शाह का प्रधानमंत्री था। सफदरजंग का जन्म 1708 में ईरान के निशापुर में हुआ था। उसकी मृत्यु 1754 में सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) में हुई। उसका पुरा नाम अब्दुल मंसूर मुकीम अली खान मिर्जा मुहम्मद सफदरजंग था। वह एक कुशल प्रशासक था। वह अपने जीवन काल में कश्मीर, आगरा, अवध आदि प्रांतों का सुबेदार रहा। बाद में वह मुगलिया सल्तनत के अधीन पूरे देश का प्रधानमंत्री बना।
मगर यह स्मारक वर्षों से उपेक्षित रहा है। संरक्षण का कार्य ताे लंबे समय से हुआ ही नहीं, देख रेख का भी अभाव रहा। मगर अब इस हालात बदल रहे हैं। कुछ समय पहले ही यहां लाइटिंग की व्यवस्था शुरू की गई है। अब आप इसे रात में भी 9 बजे तक देख सकते हैं। लगाई गईं लाइटों में यह स्मारक देखते ही बनता है। अब इनके फव्वारे भी चलाए जाएंगे। मकबरे के चारों ओर चार फव्वारे बने हैं। मगर सालों से बंद पड़े हैं। जिन्हें अब ठीक कराकर चलाया जाएगा। जिसमें सबसे पहले प्रवेश द्वार के सामने वाले फव्वारे को ठीक कराने के बाद चालू कराया भी गया है। इसके बाद तीन अन्य फव्वारे भी चालू किए जाएंगे।
सफदरजंग का मकबरा उसकी स्मृति में 1754 में अवध के नवाब शुजाउद्दौला खां ने बनवाया था। वह सफदरजंग के बेटा था। इसमें सफदरजंग और उसकी बेगम की कब्र बनी हुई है। ये मकबरा एक सफेद समाधि है जो मुगल वास्तुकला का सुंदर नमूना है। यह भले ही और मकबरों की तरह भव्य नहीं है। लेकिन यहां दूर दूर तक फैली हरियाली पर्यटकों का मन मोह लेती है। मकबरे का मुख्य द्वार मकबरे का मुख्य द्वार करीब दो मंजिला है। जिस पर अरबी शिलालेख को देखा जा सकता है। एएसआइ के दस्तावेजों में यह जानकारी मिलती है कि बनाए जाने के समय इस मकबरे के लिए जब पत्थरों की कमी पड़ी तो निजामुद्दीन स्थित अब्दुर्रहीम खानखाना के मकबरे से पत्थर निकाल कर इस मकबरे में लगा दिए गए।