आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने सकारात्मक पत्रकारिता, ग्रामीण पत्रकारिता की वकालत करते हुए कहा कि हमारे देश के पत्रकार बीबीसी, सीएनएन जैसी संस्थाओं की नकल करते हैं। हमारे देश के पत्रकारों को कुछ लीक से हटकर करना होगा। वे इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के दो दिवसीय 71वीं राष्ट्रीय परिषद को संबोधित कर रहे थे।
बंगलुरू स्थित आर्ट ऑफ लिविंग परिसर के विशालाक्षी सभागार में सार्क देशों से आए पांच सौ से अधिक पत्रकारों और प्रतिभागियों ने सबसे पहले दो मिनट का मौन रखकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
इस मौके पर श्री श्री ने कहा कि भारत के पत्रकारों को लीक से हटकर काम करना होगा। तरीका बदलना होगा। गाँवों पर फोकस करना होगा। उन्होंने कहा किसी भी चैनल पर फटाफट चलने वाली खबरों में 90 फीसद नकारात्मक होती हैं। इन्हें रोके जाने की जरूरत है। इसका दिल दिमाग पर बहुत नकारात्मक असर होता है और यह हमारे जीवन को भी प्रभावित करता है। आर्ट ऑफ लिविंग ने पत्रकारिता का प्रशिक्षण देने के इरादे से ओड़िसा में एक विश्वविद्यालय की स्थापना की है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री संतोष हेगड़े ने कहा कि अपने काम की वजह से पत्रकारिता को चौथा स्तंभ मान लिया गया है। संविधान में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का ही उल्लेख है लेकिन जनपक्षधरता की वजह से इसका प्रभाव कम नहीं है। श्री हेगड़े ने दुःख व्यक्त किया कि जिस न्यायपालिका में लोगों का अटूट विश्वास था वह भी भ्रष्टाचार में लिप्त है। इसलिए पत्रकारिता का दायित्व और बढ़ जाता है। हालाँकि, पत्रकारिता में भी भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।
राज्य सभा सदस्य सदस्य राममूर्ति ने खिचड़ी सरकार या एक सरदार विषय पर आयोजित गोष्ठी में कहा कि एक पार्टी की बहुमत वाली सरकार में अधिनायकवाद बढ़ने की संभावना रहती है, जबकि खिचड़ी सरकार जनता के और करीब होती है। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार वासवराज पाटिल ने कहा कि सरकार कोई भी हो, अगर जनहिताय काम करती है तो उसका हर हाल में स्वागत होना चाहिए।
मंच पर मौजूद अतिथियों और सभागार में मौजूद प्रतिभागियों का स्वागत आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष,वीवी मल्लिकार्जुनैया तथा महासचिव परमानंद पाण्डेय ने किया और संगठन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मंच का कुशल संचालन उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी तथा सचिव सिद्धार्थ कलहंस ने किया।