तांबे में पाएं जाते है एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल गुण, बिक्री 80 फीसदी बढ़ी
वाराणसी : फिरहाल, धनतेरस व दीवाली के लिए बाजार पूरी तरह तैयार है। पुष्य नक्षत्र के चलते खरीदारी भी शवाब पर है। सोना, चांदी से लेकर धातु के बर्तनों, जिसमें तांबा, पीतल व कांसा के बर्तनों की जबरदस्त डिमांड है। बाजार में खरीदारी करने पहुंचे रतनलाल का कहना है कि इस बार स्टील की जगह वह ताबा, पीतल व कांस के बर्तनों की ही खरीदारी कर रहे है। क्योंकि यह सेहत और समृद्धि दोनों के लिए लाभकारी है। इससे चर्म रोग के अलावा वायुदोष की बीमारी नहीं होती। मतलब साफ है धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब लोग परंपरागत जीवन शैली की ओर लौट रहे हैं। लोग स्वाद से अधिक सेहत को अधिक तरजीह दे रहे हैं। अब हर कोई तांबे के गिलास में पानी पीने से लेकर थाली में खाना चाहता है। यही कारण है कि बाजार में इन दिनों स्टील के बर्तनों की जगह पीतल तांबा और कासा के बर्तनों की मांग में वृद्धि हुई है। तर्क यह है कि इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। यह फेफड़ों को संक्रमित करने वाले कोरोना से बचा सकता है। दुकानों के बाहर धातुओं के बने बर्तनों की प्रमुखता से डिस्प्ले किया गया है। दुकानदार लोगों को सेहत के प्रति जागरूक भी करते दिख रहे है। दुकानदार बनवारी ने बताया कि इन्हें खराब होने पर कभी भी बदला जा सकता है। पीतल बदलने पर इसकी कीमत आधी हो जाती है। 250 से 300 रुपये प्रति किलो कीमत ग्राहकों को दी जाती है। कांस के बर्तनों को बदलने पर इसकी कीमत 100 रुपये प्रति किलो मिलती है।
पुराना होने पर सफाई भी करा सकते हैं। साइज व वनज के अनुसार इसे साफ करने पर कीमत ली जाती है। दुकानदार 24 घंटे का समय लेकर इसे साफ करा देते हैं। यही वजह है कि इन दिनों बाजार में ताबे के बर्तनों में 80 फीसदी का इजाफा हो गया है। बता दें, ताबे का महत्व जितना अध्यात्म से जुड़ा है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। आयुर्वेद में भी प्रमाणित है कि तांबे में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। यही वजह है कि तांबे के बर्तनों का उपयोग भारतीय बहुत पहले से करते रहे है। लेकिन जस्त, एल्युमिनियम व स्टील के चमक-धमक व सस्ता पड़ने से ताबे की उपयोगिता कम होने लगी। लेकिन कोरोनाकाल में फिर से चलन बढ़ा है। लोग सुबह शाम पानी पीने के लिए ताबे के गिलास, लोटा आदि का उपयोग कर रहे हैं।
तांबा है एंटी-बैक्टीरियल
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ हैम्पटन की शोध में भी यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि तांबा रेस्पिरेटरी वायरस (फेफड़ों को संक्रमित करने वाले वायरस) से बचा सकता है। रेस्पिटेरी वायरस जैसे- सार्स (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) और मर्स (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम)। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड की शोधकर्ता रीटा आर. कॉरवेल के मुताबिक वायरस तांबे की सतह पर आते ही मर जाते हैं या फिर निष्क्रिय हो जाते हैं। इसके अलावा वायरस के बाहरी हिस्से में निकले कांटे जैसे ढांचे टूटने लगते हैं। यही वजह है कि विदेशों में अब लोग ताबे से बनी चीजों को तरजीह दे रहे हैं। खासकर कोरोना के बाद विदेशों में बड़े पैमाने पर तांबे के बर्तनों जैसे गिलास, बोतल, बॉथ टब, दरवाजे के हैंडिल, सिटकिनी, ताला, पानी के पाइपलाइन आदि का प्रयोग शुरु हो चुका है। यूरोप और अमेरिका में इसे ज्यादा तरजीह दी जा रही है।
ताबे में होता है सूर्य की किरण के गुण
आयुर्वेदाचार्य प्रोफेसर रामकिशोर रस्तोगी का दावा है कि ताबे में सूर्य की किरण जैसे गुण होते है। इस पर कोई भी वायरस ज्यादा देर तक नहीं ठहर सकता। आयुर्वेद के अनुसार पेट, गले, फेफड़े, स्वसन तंत्र या रिसपेटरी आर्गन, जीवर आदि से जुड़े रोगों में तांबे के बर्तन में रखें पानी पीने से लाभ होता है। कुछ रोगों में तो ताबे की भस्म का भी प्रयोग होता है। तांबे के बर्तन में पानी चार्ज हो जाता है, जो पेट में भोजन के पाचन में सहायक होता है। साथ ही वायरस के संक्रमण से भी बचाता है।
तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे
-जीवाणुओं को मारता है
-मस्तिष्क को तेज करता है
-थायरॉयड ग्रंथि को नियंत्रित रखता है
-गठिया के दर्द में लाभदायक
-त्वचा को स्वस्थ रखता है
-बढ़ती उम्र को रोकने में सहायक
-पाचन क्रिया में सहायक
-एनीमिया से छुटकारा
-कैंसर और हृदय रोग का खतरा कम करता है बोले व्यापारी
शुभ मुहूर्त
दिवाली 14 नवंबर को है। इस दिन 1 बजकर 16 मिनट तक चतुर्दशी रहेगी। फिर अमावस्या हो जाएगी। यही कारण है कि 14 नवंबर को ही लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। शाम के 5 बजकर 40 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट का मुहूर्त सबसे ऊत्तम है। इस शुभ मुहूर्त के समय लक्ष्मी और गणेश पूजा की जा सकती है।
खरीदारी के कुल 4 शुभ मुहूर्त
12-13 नवंबर को मनायी जायेगी धन्वंतरि जयंती। इस दिन धातु की वस्तुओं की खरीदारी सुख-संपन्नता का कारक माना जाता है। इस वर्ष त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ गुरुवार, 12 नवंबर की रात्रि 9ः30 बजे से हो रहा है, जो शुक्रवार 13 नवंबर की संध्या करीब 6ः00 बजे तक रहेगी। इसलिए 12 नवंबर की रात्रि 9ः30 बजे के बाद से धनतेरस को लेकर खरीदारी की जा सकती है। 12 नवंबर को खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त रात्रि 11ः30 से 1ः07 बजे और रात्रि 2ः45 से अगले दिन सुबह 5ः57 तक है। वास्तव में धनतेरस में उदयाकालीन तिथि लेना श्रेयस्कर माना जाता है, जो कि शुक्रवार, 13 नवंबर को है। 13 नवंबर को खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5ः59 से 10ः06 बजे, 11ः08 से 12ः51 बजे और दिवा 3ः38 से संध्या 5ः00 बजे तक है।
सोना चांदी के दाम में तेजी
पुष्य नक्षत्र के मुहूर्त में बाजार में बिक्री शवाब पर है। इसके चलते सोने-चांदी के दामों में रिकॉर्ड उछाल भी आया है। सोने का दाम 9325 रुपए प्रति 10 ग्राम व चांदी के दाम 64111 रुपए प्रति किलो रहे। इससे पहले कभी भी नवंबर के महीने में सोने चांदी के दाम ऊंचाई पर नहीं पहुंचे। बीते वर्षो से तुलना की जाए तो 1 साल में सोने के दाम में प्रति प्रति प्रति 10 ग्राम और चांदी में करीब ₹19000 प्रति किलो की तेजी आई है। बाजार में डिस्काउंट ऑफर की भरमार है। चाहे ऑटोमोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक आइटम हो या फर्नीचर, मोबाइल, गारमेंट्स, लैपटॉप, डेस्कटॉप सहित विभिन्न क्षेत्रों में खूब ऑफर चल रहा है।
पूजा-पाठ में भी है खासा महत्व
पीतल के बर्तन का अपना एक खास स्थान होता है। इसलिए हम पूजा पाठ में पीतल के बर्तनों का ही प्रयोग करते हैं। दुर्गा पूजा हो या दीपावली या अन्य पर्व व प्रयोजन लोग पीतल के बर्तनों का प्रयोग करते हैं। क्योंकि पीतल के बर्तनों को शुभ माना जाता है। चांदी के बर्तन में खाने से रक्त का प्रवाह सही व संतुलित होता है। कासा के बर्तन में खाना बनाने से पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं। रक्त शुद्ध होता है। तांबा के बर्तन में पानी रखकर पीने से जठराग्नि शांत रहती है। अम्ल कम बनता है। पीतल के बर्तन में भोजन पकाने व खाने से कफ व व गैस्ट्रिक की समस्या में कमी आती है। पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं। लोहे के बर्तन में भोजन खाने से अपच, उल्टी की संभावना होती है। मिट्टी के बर्तन में पकाए गए खाने से पोषक तत्व की मात्रा ज्यादा होती है। खाना पूरी तरह से पकने से पाचन सही से होता है। पाचन तंत्र को ज्यादा काम नहीं करना पड़ता है। हालांकि धातु के बर्तन का इस्तेमाल करते हैं तो इसका रखें ख्याल कि पीतल के बर्तन के में ज्यादा नमक वाले खाद्य पदार्थ तैयार नहीं करना चाहिए। उसमें खाना भी नहीं चाहिए। इससे शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। अल्मुनियम के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए। यह स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है। पीतल के बर्तन में प्रसाद और भोजन स्वादिष्ट लगते हैं।