काशी से जो भी मांगा, मुझे जी भरकर मिला है। लेकिन मैंने अपने लिए कुछ नहीं मांगा है, मैं अपील करता हूं कि आप लोकल का ही प्रयोग करें।
शास्त्रों में कहा गया है-काश्यां हि काशते काशी, काशी सर्वप्रकाशिका। अर्थात काशी को काशी ही प्रकाशित करती है और काशी सभी को प्रकाशित करती है। इसलिए आज विकास को जो प्रकाश फैल रहा है और जो बदलाव हो रहा है ये सब काशी और काशीवासियों के आशीर्वाद का ही परिणाम है।
गांव, गरीब और किसान आत्मनिर्भर अभियान के सबसे बड़े स्तंभ और लाभार्थी हैं। हाल में जो कृषि सुधार हुए हैं, उससे किसानों को सीधा लाभ होने वाला है। किसानों के नाम पर किसानों की मेहनत हड़प जाने वाले बिचौलियों को सिस्टम से दूर किया जा रहा है।
आजकल, ‘लोकल के लिए वोकल’ के साथ ही, लोकल फोर दिवाली के मंत्र की गूंज चारो तरफ है। हर एक व्यक्ति जब गर्व के साथ लोकल सामान खरीदेगा, नए-नए लोगों तक ये बात पहुंचाएगा कि हमारे लोकल प्रोडक्ट कितने अच्छे हैं, किस तरह हमारी पहचान हैं, तो ये बातें दूर-दूर तक जाएंगी।