मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में मेडिकल की शिक्षा लेने वाले कमजोर आय वर्ग मेधावियों को भी उसके मिशन में सफल बनाने के प्रयास में भागीदार बन रहे हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सूबे के 24 निजी मेडिकल कॉलेजों और 19 डेंटल कॉलेज की फीस तय कर दी है। जिससे फीस की जानकारी होने के कारण छात्र-छात्राओं से अब कोई भी कॉलेज अतिरिक्त वसूली नहीं कर सकेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने चालू शैक्षिक सत्र 2020 -21 के लिए 24 निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की अलग-अलग 10.40 लाख रुपए और अधिकतम 12.72 लाख रुपए फीस निर्धारित की है। इसी तरह प्रदेश के 19 निजी डेंटल कॉलेजों में बीडीएस कोर्स के लिए अलग-अलग 2.93 लाख रुपए से लेकर 3.59 लाख रुपए फीस निर्धारित की गई है। इस बार फीस नियमन कमेटी ने कॉलेजों के संसाधन, उनके खर्चे और महंगाई को देखते हुए फीस में 10 से 20 फीसद तक बढ़ोतरी की है।
राज्यपाल ने कहा था-काफी खर्चीली महंगी है मेडिकल की पढ़ाई
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ में कोविड अस्पताल घोषित निजी मेडिकल कॉलेज के प्रबंधकों के साथ राजभवन में बैठक के दौरान कहा था कि मेडिकल की पढ़ाई काफी खर्चीली है। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की भारी-भरकम फीस को लेकर चिंता भी जाहिर की। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने निजी मेडिकल कॉलेज के संचालकों- अधिकारियों से शुल्क वृद्धि पर चर्चा भी की थी। उन्होंने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई काफी खर्चीली है। इसमें गरीब व मध्यम वर्ग के बच्चे भी पढ़ाई करने आते हैं। ऐसे छात्रों की आॢथक स्थिति पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यह छात्र शुल्क वृद्धि का भार कैसे उठा पाएंगे। मेडिकल कॉलेज संचालकों को सरकार के साथ बैठकर बीच का रास्ता निकालना चाहिए। इससे कॉलेजों की समस्या दूर हो साथ ही अभिभावकों पर ज्यादा भार न पड़े।