भारत और चीन के बीच 8वें दौर की सैन्य वार्ता शुरू
लद्दाख की पहाड़ियों को सेना ने तीन हिस्सों में बांटा
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे एलएसी के पास भारतीय क्षेत्र की तरफ चुशूल में 8वें दौर की सैन्य वार्ता शुरू हुई। इस बीच सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने पूर्वी लद्दाख के हालात तनावपूर्ण बताते हुए कहा कि हमारा रुख स्पष्ट है कि हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे। लद्दाख के अग्रिम क्षेत्रों में बर्फीली ठंड शुरू होने के बावजूद दोनों देशों के सैनिक एलएसी पर तैनात हैं लेकिन इस बैठक में दोनों देशों के बीच रिश्तोंं पर जमी बर्फ पिघलने की उम्मीद है। सेना की 14वीं कोर के नए कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन आठवें दौर की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच 21 सितम्बर को हुई छठे दौर की वार्ता में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच मॉस्को वार्ता में तय हुए पांच बिन्दुओं के आधार पर एक दूसरे से ‘रोडमैप’ मांगा गया था। 12 अक्टूबर को हुई सातवें दौर की सैन्य वार्ता ‘फिर मिलेंगे’ के वादे के साथ खत्म हुई थी। इसी बैठक में चीन और भारत ने एक दूसरे को टॉप सीक्रेट ‘रोडमैप’ सौंपे थे, जिस पर दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने मंथन किया है। आठवें दौर की सैन्य वार्ता में इसी पर फोकस किये जाने की संभावना है।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में अब भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। उन्होंने सैन्य वार्ता शुरू होने के बाद शुक्रवार को कहा कि चीन ने कभी उम्मीद नहीं की थी कि उसके दुस्साहस का जवाब भारत की तरफ से इतनी सख्ती के साथ मिलेगा। यही वजह है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) लद्दाख में भारतीय बलों की मजबूत प्रतिक्रिया के कारण अप्रत्याशित परिणाम का सामना कर रही है। रावत ने कहा कि हमारा रुख स्पष्ट है कि हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे। रावत ने यह भी कहा कि चीन सीमा पर झड़पों और बिना उकसावे के सैन्य कारवाई के बड़े संघर्ष में तब्दील होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इस बीच लद्दाख की बर्फीली पहाड़ियों पर उच्च ऊंचाई पर भारत ने अभ्यस्त सैनिकों की तैनाती की है। सेना ने इन ऊंची ऊंचाइयों को भी तीन हिस्सों में बांटा है। अगर सैनिक को 9 हजार से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनात किया जाता है तो इसके लिए 6 दिन का अधिकतम तैनाती समय होता है। इसे स्टेज वन कहते हैं। 12 हजार से 15 हजार फीट की ऊंचाई के लिए स्टेज टू होता है, जिसमें 10 दिन का अधिकतम तैनाती समय होता है। इसी तरह स्टेज थ्री के लिए 4 अतिरिक्त दिन यानी कुल 14 दिन होते हैं। यह 15 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई के लिए होता है। ऊंचाई के हिसाब से क्लोदिंग और इक्विपमेंट भी बदल जाते हैं। इसीलिए सेना ने इन्हीं मानकों के अनुसार उच्चतम ऊंचाई पर तैनात सैनिकों की रोटेशनल तैनाती शुरू की है।