नई दिल्ली। ‘बाबा साहब आंबेडकर का मानना था कि बिना किसी प्रयोजन के समाचार देना और समाज को जागृत करना पत्रकारिता का पहला कर्तव्य है।’ यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने गुरुवार को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। आयोजन की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने की एवं संचालन प्रो. अनिल कुमार राय ने किया। ‘बाबा साहब आंबेडकर और उनकी पत्रकारिता’ विषय पर बोलते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि भारतीय संविधान के शिल्पकार आंबेडकर ने समाज में व्याप्त जातिभेद, ऊंच-नीच और छुआछूत को समाप्त कर समता और बंधुत्व का भाव लाने के लिए अपना जीवन लगा दिया। वंचितों, शोषितों एवं महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए बाबा साहब ने अलग-अलग स्तर पर जागरुकता आंदोलन चलाए।
उन्होंने कहा कि आंबेडकर एक महान संप्रेषक थे। भारतीय मीडिया के बारे में उनके विचार और पत्रकार के तौर पर उनका आचरण, आज भी उन लोगों के लिए आदर्श है, जो मीडिया का मानव विकास के उपकरण के रूप में उपयोग करना चाहते हैं। प्रो. द्विवेदी के मुताबिक मौजूदा परिस्थितियों में आंबेडकर का जीवन हमें युग परिवर्तन का बोध कराता है। आज हमारे लिए चिंता की बात यह है कि संपूर्ण समाज का विचार करने वाले और सामाजिक उत्तरदायित्व को मानने वाले आंबेडकर जैसे पत्रकार मिलना मुश्किल हैं।