लोग क़त्ल भी करें तो चर्चा नहीं होती, हम आह भी भरें तो हो जाते हैं बदनाम। भारत में लव जिहाद के बढ़ते मामलों से यह साफ पता चल रहा है कि कैसे एक सम्प्रदाय दूसरे धर्म की लड़कियों को अपना शिकार बनाते है। वह भी अपनी विस्तारवादी सोच की वजह से। सब जानते है कि लव जिहाद आज आतंकवाद की तरह हमारी वसुधैव कुटुम्बकम की परंपरा में विष घोल रहा है लेकिन अफसोस की ऐसे गम्भीर विषय पर बुलंद आवाज़ नहीं उठती। भारतीय समाज आज उन्हीं मुद्दों पर बात करना पसंद करने लगा है जो दूसरों को अच्छा लगे। हमने धर्म को भी अपनी सुविधा के अनुसार धारण करना सीख लिया है। सेक्युलर बनने की चाह में हम अपने ही धर्म पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज तक नही उठाते है। अब इससे बड़ा दुर्भाग्य ओर क्या होगा? चलिए एक दफ़ा मान लिया हिन्दू-मुस्लिम भगवान ने किसी को नहीं बनाया बल्कि इंसान बनाया। इसके बाद भी सिर्फ़ एक समुदाय सहन करता जाएं और दूसरा विस्तार यह सोच तो कतई सही नहीं। एक अपने धर्म की रक्षा के लिए क़दम उठाएं तो कट्टरवादी और दूसरा कुछ भी कर लें फिर भी वह गंगा-जमुनी तहज़ीब का खेवनहार। क्या अजीबोगरीब परिभाषाएं लिखी और गढ़ी जाती है हमारे देश में।
भारतीय संविधान किसी को भी अपने हिसाब से जीवन जीने की स्वतंत्रता देता है। यहां तक सब बढ़िया है, लेकिन किसी को ग़ुमराह करना यह तो कहीं से न्यायोचित नहीं। लव जेहाद एक ऐसा ही कुचक्र है। जहां हिन्दू धर्म की लड़कियों को गुमराह करके उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है। अब समाज में ऐसी घटनाएं घटित होगी। फ़िर मुगल काल और आधुनिक युग में अंतर क्या रह जाएगा? सवाल उन ढोंगी सेकुलरिज्म के ठेकेदारों से भी आख़िर उन्हें अपने ही धर्म को कमज़ोर करके हासिल क्या होगा? पैसे के लिए अपने धर्म को ही कमज़ोर करना तो ग़द्दारी होती है। ऐसे में जो अपने धर्म का नहीं हो सकता, फ़िर तो शायद वह किसी का नही हो सकता।
वैसे देखें तो लव जिहाद एक ऐसी कुप्रथा बन गया है। जो दो समुदाय के बीच नफरत पैदा करता है। यह किसी एक राज्य, देश या समुदाय तक सीमित नही बल्कि विश्व्यापी समस्या बनता जा रहा है और इस कुचक्र का शिकार बनती है मासूम लड़कियां। जिन्हें बहला फुसला कर या फिर जोर जबरजस्ती से शादी के नाम पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जाता है। कभी किसी ने शायद ही यह सुना होगा कि किसी लड़की ने जबरन शादी करके किसी लड़के पर धर्म परिवर्तन का दवाब बनाया है। ऐसा न ही कभी हुआ है और न ही कभी होगा, क्योंकि धर्म के ठेकेदार हमेशा कमजोर वर्ग को ही अपना शिकार बनाते है। मैं यह नही कहती कि महिलाएं कमजोर है लेकिन ये भी सच है कि महिलाएं कभी अपने हक के लिए आवाज नही उठती है। जब कोई महिला इस कट्टर पंथी सोच का विरोध करती है तो उसे सरेआम गोली मार दी जाती है। अभी चंद दिनो पहले घटी घटना में “निकिता” का दोष सिर्फ इतना ही था कि उसने जेहादियों के नापाक मंसूबो का विरोध किया। जिसकी सजा उसे अपनी जान की कुर्बानी देकर चुकानी पड़ी।
लव जिहाद भारत में एक सोच समझी साजिश का ही परिणाम है। केरल में बड़े पैमाने पर हिन्दू और ईसाई लड़कियो के धर्म परिवर्तन कि घटना सामने आती रहती है। वर्तमान समय मे मुस्लिम युवकों का यह खेल पूरे देश मे फैल गया हैं। मुस्लिम समाज की विस्तारवादी नीति ने ही लव जिहाद को जन्म दिया है। लेकिन हमारे देश में सेक्यूलिज्म का ढोंग रचने वाले लोगो को इसमे भी हिन्दू समाज की कट्टरपंथी सोच ही नजर आएगी। लव जिहाद में मुस्लिम युवक अपनी पहचान छुपकर हिन्दू लड़कियों से वैवाहिक संबंध स्थापित करते है और इस्लाम धर्म कबूल करने का दबाव बनाते है। हमारे देश के वामपंथी मीडिया संस्थान भले ही लव जिहाद को नकारते हो। इसे गंगा जमुनी तहजीब का हवाला देते हो लेकिन ऐसी न जाने कितनी घटनाएं है जो लव जिहाद को उजागर कर रही है। लव जिहाद न जाने कितनी मासूम लड़कियो को अपने धर्म को छोड़ने पर मजबूर किया है। न जाने कितनी मासूम लड़कियां इस अपराध का शिकार हुई है। वैसे हम महिलाओं की सहन शक्ति भी कमाल की होती है। हम अपने ही प्रति हो रहे अन्याय के विरुद्ध आवाज तक नही उठाते है। शायद यही वजह है कि अब तक यह विषय नारीवादी विमर्श का विषय नही बन पाया है।
हमारे देश मे सती प्रथा, बाल विवाह जैसे विषयो पर बुद्धिजीवी वर्ग चीख-चीख कर अपनी राय रखता है। लेकिन लव जिहाद की बात आते ही सेक्यूलिज्म का चोला ओढ़ कर बैठ जाता है। भारतीय समाज में स्त्री विमर्श के मुद्दे वामपंथी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि आज भी 21 सदी में महिलाएं अपने हक के लिए आवाज नही उठा पाती है। पुरुषों के पीछे खड़े होकर जीना मानो आदत सी बन गयी है। यही वजह है कि आज महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो 19 जनवरी को केरल के सायरो-मलाबार चर्च ने पहली बार लव जिहाद के खिलाफ आवाज उठाई। इसमें कहा गया कि केरल सहित अन्य राज्यों में ईसाई युवतियों को प्रेमजाल में फंसाने और इस्लामिक स्टेट में आतंकवादी संगठनों में भेजे जाने की बात कही गयी है। “द सायनाड ऑफ सायरो मालाबार चर्च”के काड़नल जार्ज एलनचेरी की अध्यक्षता में भी यह बात कही गयी थी कि राज्य सरकार लव जिहाद के मामलों पर कोई उचित कार्यवाही नहीं कर रहा है। केरल में यह मुद्दा समय समय पर ईसाई संगठनों द्वारा उठाया जाता रहा है।
एक दशक पहले 2009 में केरल के कैथोलिक बिपश काउंसिल ने कहा कि 2006 से 2009 के बीच 2800 महिलाओ का धर्म परिवर्तन किया गया है। उन्होंने कहा कि लव जिहाद को प्रेम का नाम देना सही नहीं है। यह एक सोची समझी रणनीति के तहत चलाया जा रहा अभियान है। लेकिन अफसोस कि इतने बड़े पैमाने पर की जा रही साजिश के बाद भी राजनीति के रणबांकुरे इस मुद्दे पर मौन धारण किये हुए है। वही सेक्यूलिज्म का चोला ओढे पंथनिरपेक्ष लोग इस मुद्दे पर कोई बहस तक नही करना चाहता है। वही सूत्रों की माने तो लव जिहाद के लिए इस्लामिक संगठन आई एस आई फंड मुहैया कराता है। जिसमें एक सोची समझी रणनीति के अंर्तगत हिन्दू महिलाओं का धर्म परिवर्तन करवाया जाता है। जो महिलाएं इसका विरोध करती है उन्हें मौत के घाट तक उतार दिया जाता है। ऐसे में बीते दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लव जिहाद के विरुद्ध कठोर क़ानून बनाने की दिशा में बढ़ने की बात कही है। ऐसे में उम्मीद कर सकते कि आगामी दिनों में कुछ सकारात्मक इस दिशा में होगा ताकि बेवज़ह धर्म-परिवर्तन की घटनाएं रुक सकें और किसी की ज़िंदगी तबाह होने से बच सकें। आख़िर में इतना ही प्रेम इतना कमज़ोर नहीं होता कि वह धर्म की दीवारों में फंसकर रह जाएं। ऐसे में लव जेहाद की आड़ में प्रेम शब्द को दूषित न करें पोंगापंथी विचारक तो ही अच्छा!