राज्यसभा चुनाव में मायावती को झटका, पांच बसपा विधायकों ने प्रस्ताव वापसी के लिए किया आवेदन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों पर हो रहे चुनाव को ​लेकर हर रोज नए सियासी दांव देखने को मिल रहे हैं। अब चुनाव से पहले सपा के दांव से बसपा को जोरदार झटका लगा है। बसपा के उम्मीदवार रामजी गौतम के दस प्रस्तावकों में से पांच प्रस्तावकों ने अपना वापस लेने की अर्जी दे दी। इनमें असलम चौधरी, असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकम लाल बिंद और गोविंद जाटव शामिल हैं। इससे पहले मंगलवार को ही असलम चौधरी की पत्नी ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली थी। बताया जा रहा है कि इन पांच विधायकों और अखिलेश यादव के बीच काफी देर तक अकेले में चर्चा हुई। इस दौरान अखिलेश ने राजनीतिक उलटफेर की स्क्रिप्ट लिखी। इसके बाद ये सभी विधानसभा पहुंचे और यहां प्रस्तावक से अपना प्रस्ताव वापस लेने का आवेदन किया। बुधवार के जब ये प्रस्तावक अपना नाम वापस लेने के लिए विधानसभा पहुंचे तो हलचल मच गई। भिनगा के बसपा विधायक मो. असलम राईनी ने कहा है कि चार विधायकों ने लिखकर दिया है कि राम जी गौतम के प्रस्तावक के रूप में उन लोगों ने दस्तखत नहीं किया। उनके फर्जी हस्ताक्षर बनाए गए हैं। उधर बसपा विधानमंडल दल नेता के लाल जी वर्मा ने कहा कि सभी विधायक नामांकन के समय स्वयं मौजूद थे। उनको नाम वापसी का हक नहीं है। इस संबंध में साक्ष्य उपलब्ध करा दिए हैं। वहीं इन पांचों विधायकों के पार्टी से बगावत करने के बाद अन्य विधायकों को लेकर चर्चा है कि वे भी मायावती के खिलाफ जा सकते हैं। वहीं मौजूदा परिस्थितियों में अगर आज नामांकन पत्रों की जांच के बाद बसपा उम्मीदवार रामजी गौतम का नामांकन रद्द होता है, तो सपा समर्थित प्रकाश बजाज के राज्यसभा पहुंचने की राह आसान हो जाएगी।

इससे पहले मंगलवार को ऐन मौके पर सपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार वाराणसी के प्रकाश बजाज के मैदान में आ जाने से अब राज्यसभा चुनाव में नया दांव देखने को मिला था। वहीं आज जिस तरह से सपा ने बसपा का खेल बिगाड़ा, उससे मायावती को झटका लगा है। इन सबके बीच वर्तमान सियासी परिस्थितियों में विधायकों में क्रास वोटिंग की सम्भावना और तेज हो गई है और निर्दलीय व अन्य विधायकों की अहमियत काफी बढ़ गई है। सियासी विश्लेषकों के मुताबिक भाजपा के पास अतिरिक्त 18 विधायक होने के बाद भी उसने अपना नौंवा उम्मीदवार नहीं उतारा। वहीं पर्याप्त संख्या बल नहीं होने के बावजूद बसपा मैदान में उतर गई। ऐसे में बसपा को लाभ मिलने की सम्भावना देख सपा रणनीतिकारों ने नई सियासी चाल चली और निर्दलीय उम्मीदवार को आगे करके चुनावी तस्वीर बदल दी। इससे जहां निर्विरोध चुनाव की सम्भावना खत्म हो गई, वहीं बसपा को भी करार जवाब मिल गया।

भाजपा से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री महासचिव तथा केंद्रीय कार्यालय प्रभारी अरुण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर, सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक बृजलाल, सिडको के अध्यक्ष बीएल वर्मा, पूर्व मंत्री हरिद्वार दुबे व पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी के साथ पूर्व प्रदेश मंत्री व औरैया की नेता गीता शाक्य ने नामांकन दाखिल किया है। वहीं सपा से प्रो. रामगोपाल यादव परचा दाखिल कर चुके हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला के मुताबिक 02 नवम्बर तक उम्मीदवार अपना नामांकन वापस ले सकते हैं और 09 नवम्बर को पूर्वाह्न 09 बजे से अपराह्न 04 बजे तक मतदान का समय है। इसी दिन मतगणना की जाएगी। वहीं 11 नवम्बर से पहले निर्वाचन सम्पन्न करा लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश से भाजपा के नीरज शेखर, अरुण सिंह तथा केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, समाजवादी पार्टी के प्रोफेसर रामगोपाल यादव, डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव व रवि प्रकाश वर्मा, कांग्रेस के पीएल पुनिया व राज बब्बर तथा बहुजन समाज पार्टी के जावेद अली खान व राजा राम का कार्यकाल 25 नवम्बर को समाप्त हो रहा है।

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