पंजाब में प्रदूषण के कारण हालत बुरी हो गई है। राज्य में दशहरा पर्व पर प्रदूषण का स्तर इस बार पिछले साल के मुकाबले दोगुना से ज्यादा हो गया है। साल 2019 में दशहरे पर प्रदूषण का स्तर संतोषजनक श्रेणी में था, जो इस साल खराब श्रेणी में पहुंच गया है। इसके लिए पराली जलाने की ज्यादा घटनाएं जिम्मेदार हैं। वहीं, इस बार दशहरा पर्व पिछले साल के मुकाबले 18 दिन की देरी से आया। इसलिए भी प्रदूषण का स्तर अधिक पाया गया है। सबसे बुरी हालत बठिंडा और लुधियाना में है। इन शहरों में सांस लेना मुश्किल हो गया है।
पराली जलाने की घटनाएं भी दोगुना से ज्यादा, बठिंडा में प्रदूषण का स्तर राज्य में सबसे अधिक
शनिवार को बठिंडा में एयर क्वालिटी इंडेक्स वैल्यू (एक्यूआइ) 295 थी। यह रविवार को बढ़कर 321 हो गई। साल 2019 में दशहरा के दिन सिर्फ मंडी गोबिंदगढ़ में ही प्रदूषण का स्तर मध्यम श्रेणी में था, जबकि अन्य सभी शहरों में यह संतोषजनक था। बठिंडा और लुधियाना की स्थिति इस साल चिंताजनक है।
पराली जलाने का आंकड़ा 13 हजार के करीब पहुंचा
पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के मामले भी इस साल दोगुना से ज्यादा हो गए हैं। पिछले साल 24 अक्टूबर को पराली जलाने की 5510 घटनाएं दर्ज की गई थीं। वहीं, इस साल 24 अक्टूबर को यह आंकड़ा 12,985 पहुंच गया है। दशहरा और दिवाली की आड़ में किसान ज्यादा पराली जलाते हैं। अगर ऐसे ही पराली जलाने के मामले बढ़ते रहे तो राज्य में सर्वाधिक घटनाओं का आंकड़ा भी पार हो जाएगा।
तरनतारन में जल ही सबसे ज्यादा पराली
राज्य में खेतों में पराली जलाने के सबसे ज्यादा 2620 मामले तरनतारन जिले में सामने आए हैं। इसके अलावा अमृतसर जिले में 1800, फिरोजपुर जिले में 1537, पटियाला जिले में 1158 और गुरदासपुर जिले में 1088 जगह पराली जलाई गई है।
पिछले साल के मुकाबले इस साल एक्यूआइ वैल्यू
शहर- 8 अक्टूबर, 2019- 24 अक्टूबर, 2020- 25 अक्टूबर, 2020
अमृतसर- 74- 218- 123
बठिंडा 103- 295- 321
जालंधर- 61- 196- 168
लुधियाना- 54- 250- 284
मंडी गोबिंदगढ़- 141- 233- 173
पटियाला- 52- 175- 208
पराली जलाने वालों खिलाफ कार्रवाई जारी
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव करुणेष गर्ग ने बताया कि पराली जलाने वालों खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। गांव स्तर पर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि पराली न जलाते हुए पर्यावरण को शुद्ध रखने में अपना योगदान दें।