राज्यसभा के लिए सपा उम्मीदवार प्रो.रामगोपाल ने किया नामांकन, अखिलेश रहे मौजूद

27 अक्टूबर को नामांकन की अन्तिम तारीख, 09 नवम्बर को होगा मतदान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों को लेकर हो रहे चुनाव को लेकर बुधवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव और उम्मीदवार प्रो. रामगोपाल यादव ने विधानसभा के पुरुषोत्तम दास टंडन हाल में नामांकन दाखिल किया। इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल व अन्य पार्टी विधायक मौजूद रहे। नामाकंन के बाद अखिलेश यादव ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। हालांकि रामगोपाल यादव ने पार्टी नेतृत्व को राज्यसभा के लिए पांचवी बार उम्मीदवार बनाने पर धन्यवाद कहा। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश की सारी जनता दुखी है। ऐसी कोई बात नहीं कहना चाहता जो सत्ताधारी दल के मन को दुखाए।

राज्यसभा की दस सीटों के लिए चुनाव कार्यक्रम जारी करते ही समाजवादी पार्टी ने प्रो. रामगोपाल यादव को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। मौजूदा संख्याबल के हिसाब से पार्टी अपने एक उम्मीदवार को जिताने की स्थिति में है। इसलिए प्रो. रामगोपाल यादव का ही राज्यसभा जाना तय माना जा रहा है। इससे पहले राज्यसभा की दस सीटों को लेकर हो रहे चुनाव को लेकर मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दी गई। पहले दिन एक भी नामांकन नहीं दाखिल किया गया। इन सीटों के लिए 09 नवम्बर को मतदान होगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला के मुताबिक नामांकन की अन्तिम तारीख 27 अक्टूबर होगी तथा 28 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 02 नवम्बर तक उम्मीदवार अपना नामांकन वापस ले सकते हैं और 09 नवम्बर को पूर्वाह्न 09 बजे से अपराह्न 04 बजे तक मतदान का समय है। इसी दिन मतगणना की जाएगी। वहीं 11 नवम्बर से पहले निर्वाचन सम्पन्न करा लिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश से भाजपा के नीरज शेखर, अरुण सिंह तथा केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, समाजवादी पार्टी के प्रोफेसर रामगोपाल यादव, डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव व रवि प्रकाश वर्मा, कांग्रेस के पीएल पुनिया व राज बब्बर तथा बहुजन समाज पार्टी के जावेद अली खान व राजा राम का कार्यकाल 25 नवम्बर को समाप्त हो रहा है। संख्या बल के हिसाब से इन दस में से नौ सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों का राज्यसभा में जाना तय माना जा रहा है। वहीं समाजवादी पार्टी के खाते में एक सीट जाएगी। जबकि बहुजन समाज पार्टी व कांग्रेस अपने किसी सदस्य को जीत दिलाने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसी स्थिति में चुनाव में मतदान की सम्भावना कम नजर आ रही है। विपक्ष दलों के पास पर्याप्त विधायकों का अभाव और एकजुटता नहीं होना भी इस सम्भावना की वजह माना जा रहा है।

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