निर्यातकों को करना चाहिए वैश्विक मानदंडों का पालन: सिद्धनाथ सिंह
‘कालीनों की गुणवत्ता, परीक्षण (टेस्टिंग’ पर वेबिनार का आयोजन
वाराणसी। कोरोनाकाल में भारतीय हो या विदेशी हर कोई डरा-सहमा है। किसी भी उत्पाद के उपयोग से पहले वह सुनिश्चित हो जाना चाहता है कि वह जीवाणुरहित है या नहीं। खासकर हस्तशिल्प कालीनों को लेकर वह बेहद चौकन्ना है। ऐसे में निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार को टैप करने के लिए गुणवत्ता और मानकों के लिए वैश्विक मानदंडों का हरहाल में पालन करना होगा। क्योंकि कोरोनाकाल में कालीनों की गुणवत्ता बगैर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जगह बनाना अंसभव है। इन्हीं उद्देश्यों के साथ गुणवत्ता को लेकर सीईपीसी ने एक बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के तत्वावधान में कालीन क्षेत्र के लिए विभिन्न परीक्षण के बारे में सदस्य निर्यातकों को शिक्षित करने के लिए “कालीनों की गुणवत्ता, परीक्षण (टेस्टिंग)“ विषयक एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर सीईपीसी चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि विभिन्न निर्यातक देशों की आवश्यकताओं के अनुसार जरुरी है कि कालीन निर्यातक कालीनों की गुणवत्ता को लेकर सजग हो जाएं। क्योंकि अब कालीनों की गुणवत्ता बनाएं रखने वाला निर्यातक ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी पकड़ बनाएं रख सकता है।
श्री सिंह ने कहा कि वेबिनार कराने का मकसद भी यही है कि निर्यातक कालीनों के विभिन्न परीक्षण लिए तैयार रहे। कालीनों के परीक्षण में टीयूीव सूड लेबोरेटरी काफी कारगर हो सकती है। निर्यातकों के लिए यह लेबोरेटरी प्रभावी मददगार सबित हो सकती है। हालांकि सीईपीसी पहले से ही ‘कालीन लेबल‘ देती रही है। इस लेबल से ग्राहकों को विश्वास हो जाता था कि उक्त कारपेट के गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है। लेकिन बढ़ते महामारी को देखते हुए वह अब जीवाणुाहित सहित अन्य तरह की भी गुणवत्ता है। ऐसे में निर्यातकों को गुणवत्ता और मानकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का सख्ती से पालन करने की जरुरत है। श्री सिह ने निर्यातकों को यह भी चेतावनी दी है कि अनिवार्य दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहने से, वे अन्य देशों में अपने निर्यात हिस्से को खो सकते हैं। माल और सेवाओं के लिए सर्वोत्तम मानकों को अपनाने की आवश्यकता और महत्व पर जोर देते हुए सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि कालीन उद्योग की भागीदारी को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में बढ़ाना महत्वपूर्ण है। श्री सिंह ने कहा कि अमेरिका, यूरोपीय संघ और जर्मनी जैसे बाजारों में गुणवत्ता के मानकों को लेकर काफी सावधानी बरती जा रही है। ऐसे में कालीनों की स्वच्छता और गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत इन देशों से काफी अलर्ट प्राप्त करता है। इसलिए निर्यातकों को चाहिए वह विशिष्ट मानकों और तकनीकी नियमों की पहचान के लिए अपने टेक्निकल विंग्स को और मजबूत करें।
बेविनार में जर्मनी आधारित एक परीक्षण कंपनी मैसर्स टीयूवी सूड साउथ एसिया प्राइवेट लिमिटेड के उपमहाप्रबंधक मिनहाज़ुद्दीन शेख ने कालीन अनुपालन, मानक, मूल्य, अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में विभिन्न परीक्षण आवश्यकताओं और नियमों पर एक पावरपॉइंट प्रस्तुतिकरण किया। भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) भदोही के एसोसिएट प्रोफेसर और तकनीकी प्रबंधक डॉ. आर.के. मलिक ने उपलब्ध विभिन्न परीक्षण सुविधाओं, प्रयोगशाला की रिपोर्टों की मान्यता, परीक्षण के फायदे-ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर एक प्रस्तुति दी। जिससे हमारे उत्पादों पर ग्राहक विश्वास विकसित करें, प्रक्रिया के अपव्यय और अनुकूलन को कम करें। प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान सम्मानित वक्ताओं ने प्रतिभागीयो के प्रश्नों का उत्तर दिया। कुछ सदस्यो ने फाइबर परीक्षण सुविधा की उपलब्धता के बारे में भी पूछताछ की जो उत्पादों के मानक को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। मेसर्स जयपुर रग्स के राजेश कुमार ने कोविड-19 परिदृश्य मे यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका में अतिरिक्त परीक्षण आवश्यकता के बारे में पूछताछ की। राजेश ने कहा कि आने वाले दिनों में जीवाणुरोधी परीक्षण की आवश्यकता होगी। कुछ सदस्यो ने परीक्षण रिपोर्ट की वैधता के बारे में भी पूछताछ की। डॉ. आर. के. मलिक ने प्रतिभागियों को निर्यातकों के लिए “कालीन बंधु योजना“ के बारे में भी बताया। डॉ. मालिक ने बताया की कालीन बंधु योजना के तहत सदस्य बनने पर सभी परीक्षण शुल्क, प्रकाशन, सॉफ्ट-वेयर और डिजाइन पर 20 फीसदी की छूट, कंसल्टेंसी शुल्क और अन्य शुल्कों पर 10 फीसदी की छूट, संदर्भ के लिए पुस्तकालय की सुविधा, टीम द्वारा संपर्क कंसल्टेंसी आदि के प्रावधान हैं।
सीईपीसी के ईडी संजय कुमार ने सदस्यों को सूचित किया कि परिषद कालीन लेबल जारी करती हैं। सभी हस्तनिर्मित कालीनों, दरियो आदि के लिए “हॉलमार्क ऑफ कमिटमेंट” दर्शाता है कि कालीन लेबल के उपयोगकर्ता बाल श्रम उन्मूलन के लिए कालीन निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा अपनाई गई आचार संहिता का पालन करता हैं। उन्होंने बताया कि परिषद के सभी कार्यालयों में बहुत कम मूल्य मे कालीन लेबल उपलब्ध हैं। परिषद और भारत सरकार “कालीन लेबल“ को लोकप्रिय बनाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू करने जा रही है। उन्होने सदस्यों से अपने सभी कालीनों और अन्य फर्श कवरिंग पर केलेन लेबल्स का उपयोग करने का अनुरोध किया है। संजय कुमार ने उल्लेख किया कि नियम महत्वपूर्ण और अभी या बाद में हमें यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाज़ारो के लिए इन का अनुपालन करना है, जो कि हमारे प्रमुख बाजार है, हालांकि कालीन उद्योग में हम पहले से ही सेट पैटर्न को अपना चुके हैं लेकिन यह समय की जरूरत है हमें मानदंडों के अनुसार अनुपालन करना होगा।
श्री हुसैन जाफ़र हुसैन, सदस्य प्रशासनिक समिति ने कालीन निर्यात संवर्धन परिषद की ओर से औपचारिक धन्यवाद दिया। श्री हुसैनी ने उल्लेख किया कि यद्यपि सस्ती दरों पर आईआईसीटी में विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध हैं और आईआईसीटी से एक अलग मार्केटिंग सेल बनाकर प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है, जो न केवल सदस्यों के लिए लाभदायक होगा, बल्कि आईआईसीटी के राजस्व में भी वृद्धि करेगा। अंत में कालीन निर्यात संवर्धन परिषद ने सदस्यों से अनुरोध किया कि वे आईआईसीटी जो भारत सरकार द्वारा स्थापित संस्थान है, में आवश्यक परीक्षण सुविधाओं पर अपने सुझाव भेजें। परिषद निश्चित रूप से आईआईसीटी उन्नयन योजना में सिफारिश करेगी और आईआईसीटी भदोही से तुरंत प्रतिक्रिया के लिए आशा करती हैं। वेबिनार में उमर हमीद, द्वितीय उपाध्यक्ष, अब्दुल रब, बोध राज मल्होत्रा, हुसैन जाफर हुसैनी, श्रीराम मौर्य, सदस्य प्रशासनिक समिति और संजय कुमार, अधिशासी निदेशक वेबिनार में शामिल थे। उमेर हमीद ने वेबिनार में सभी सदस्यों और विशेषज्ञों का स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि वेबिनार भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग के लिए फायदेमंद होगा।