नवरात्रि का पर्व चल रहा है और कल यानी 21 अक्टूबर को नवरात्रि का पांचवा दिन है। जी हाँ, कहा जाता है नवरात्रि का पांचवा दिन स्कंदमाता को समर्पित है। जी दरअसल इस दिन को नवरात्रि की पंचमी कहा जा सकता है क्योंकि इस दिन आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं स्कंदमाता की कथा।
मां स्कंदमाता की कथा – पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नाम एक राक्षस ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या करने लगा। कठोर तप से ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और उसके सामने प्रकट हुए। ब्रह्मा जी ने उससे वरदान मांगने को कहा। वरदान के रूप में तारकासुर ने अमर करने के लिए कहा। तब ब्रह्मा जी ने उसे समझाया की इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे मरना ही है। निराश होकर उसने ब्रह्मा जी कहा कि प्रभु ऐसा कर दें कि भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही उसकी मृत्यु हो। तारकासुर की ऐसी धारणा थी कि भगवान शिव विवाह नहीं करेंगे।
इसलिए उसकी मृत्यु नहीं होगी। ब्रह्मा जी ने उसे वरदान दिया और अदृश्य हो गए। इसके बाद उसने लोगों पर अत्याचार करना आरंभ कर दिया। तारकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव के पास पहुंचे और मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। तब शिव जी ने पार्वती जी से विवाह किया और कार्तिकेय के पिता बनें। बड़े होने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं।