दिल्ली मेट्रो में हर रोज सफर करने वाले 25 लाख से ज्यादा लोगों को शायद पता नहीं होगा कि इस रेल नेटवर्क की शुरुआत रेड लाइन के 8.2 किलोमीटर लंबे खंड से हुई थी और उस वक्त इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था.
वाजपेयी ने 24 दिसंबर 2002 को दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के सबसे पहले कॉरिडोर का उद्घाटन किया था जिससे दिल्ली का एक बड़ा सपना पूरा हुआ था. इस उद्घाटन अवसर पर दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री अनंत कुमार, डीएमआरसी के प्रमुख ई. श्रीधरन और मेट्रो के अध्यक्ष मदन लाल खुराना भी मौजूद थे.
अटल बिहारी वाजपेयी ही दिल्ली मेट्रो के पहले यात्री थे. उन्होंने मेट्रो स्टेशन से मेट्रो का टिकट खरीदा और फिर कश्मीरी गेट से सीलमपुरी तक का सफर किया. एक अधिकारी ने बताया, ‘वाजपेयी और अन्य मेहमान कश्मीरी गेट में ट्रेन में चढ़े थे और सीलमपुरी में उतरे थे. बाद में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री ने आधिकारिक तौर पर ट्रेन सेवा को झंडी दिखाकर रवाना किया था.’
वाजपेयी के तहत ही शुरू हुई दिल्ली मेट्रो आम लोगों के यातायात में बड़े परिवर्तन का कारण बनी. इससे झुग्गी-झोपड़ियां, गरीबों की कॉलोनियां भी महंगे इलाकों से जुड़ गईं और एक बराबरी का भाव पैदा हुआ. पूरे देश में आधुनिकीकरण का सफल दौर शुरू हो गया.
अटल बिहारी वाजपेयी एकमात्र संसद सदस्य थे जो चार अलग-अलग राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और दिल्ली से चुने गए थे. तीन बार प्रधानमंत्री, 10 बार लोकसभा सांसद और दो बार राज्यसभा सदस्य का रिकॉर्ड वाजपेयी के नाम है.
1995 में भारत के प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव और भाजपा नेता मदन लाल खुराना ने मिलकर दिल्ली मेट्रो कॉरपेशन (डीएमआरसी) का गठन किया था. जिसके बाद 1998 में दिल्ली मेट्रो की पहली लाइन का काम शुरू हुआ. 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शाहदरा से तीस हजारी के बीच मेट्रो लाइन का उद्घाटन किया था.