भाजपा सरकार ने संस्कृत विद्वानों के लिये खोले द्वार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती करने जा रही है। राज्य सरकार ने संस्कृत विद्वानों के लिये नौकरी के दरवाजे खोल दिये हैं। भर्ती की प्रक्रिया जल्द ही शुरू करने के निर्देश दिये गये हैं। योगी सरकार के इस फैसले को संस्कृत विद्यालयों को बङी राहत मिलने के तौर पर देखा जा रहा है। इन विद्यालयों में लम्बे अर्से से पचास फीसदी शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जिसके कारण संस्कृत के विद्यार्थियों का भविष्य दाव पर लगा हुआ था। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को यहां बताया कि सरकार संस्कृत विद्यालयों की दशा और दिशा सुधारने को लेकर बेहद गम्भीर है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी ने यह भी निर्देश दिये हैं कि संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के अनुरूप उनके लिए रहने तथा भोजन आदि की व्यवस्था की जाए। इस सम्बन्ध में स्वयं सेवी संस्थाओं तथा सीएसआर फण्ड का सहयोग भी प्राप्त किया जाए।
प्रवक्ता ने बताया कि योगी सरकार के सकारात्मक रुख के कारण ही माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन सम्भव हुआ है। माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के गठन से परीक्षाएं समय पर सम्पन्न हो रही हैं तथा इनके परिणाम भी समय पर आ रहे हैं। परिषद की वेबसाइट को लांच करते हुए संस्कृत को तकनीक के साथ जोड़ने का काम किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में संस्कृत शिक्षा के लिए दो राजकीय विद्यालय और 973 सहायता प्राप्त विद्यालय हैं। इनका संचालन माध्यमिक शिक्षा निदेशालय करता है। वहीं दूसरे राज्यों में संस्कृत शिक्षा के लिए अलग से निदेशालय है। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी ने प्रदेश में संस्कृत शिक्षा की समीक्षा के बाद संस्कृत निदेशालय बनाने का ऐलान किया । प्रदेश में सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में प्राचार्य के 973 में से 604 पद और सहायक अध्यापकों के 3,974 में से 2,054 पद खाली हैं। इस तरह कुल 4,947 पदों में से 2,658 पद खाली है। मुख्यमंत्री ने इन पदों पर स्थायी भर्ती होने तक संविदा के आधार पर भर्ती करने के निर्देश दिए हैं।