कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ लाडोवाल टोल प्लाजा पर किसान आठ दिन से कब्जा जमाकर बैठे हैं। किसान टोल प्लाजा छोड़ने तो तैयार नहीं हैं। इस कारण टोल प्लाजा प्रबंधन को रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। किसानों और टोल प्लाजा प्रबंधकों की नजरें अब दिल्ली पर टिकी हुई हैं। दिल्ली में केंद्र सरकार ने किसान नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया है। वार्ता के बाद ही यह तय होगा कि किसान टोल प्लाजा पर बैठे रहेंगे या फिर अपना धरना समाप्त कर लेंगे।
सिर्फ चार लेनों में वाहनों की आवजाही
बुधवार को लाडोवाल टोल प्लाजा पर किसानों ने सिर्फ चार लेनों से वाहनों को आने-जाने दिया। जबकि बाकी की सभी लेन बंद कर दी। धरना स्थल पर धूप ज्यादा होने के कारण किसानों ने शेड के नीचे टोल काउंटरों पर लंगर शिफ्ट कर दिया। किसान नेताओं का कहना है कि किसान पहले ही एलान कर चुके हैं कि कृषि सुधार कानून रद करने या केंद्र सरकार की तरफ से ठोस कार्रवाई के बाद ही यह धरना खत्म होगा।
आठ दिन से टोल प्लाजा पर बैठे हैं किसान
किसान आठ दिन से टोल प्लाजा पर बैठे हैं और टोल प्रबंधकों को टोल नहीं वसूलने दे रहे हैं। किसानों के धरने के कारण टोल प्लाजा प्रबंधकों ने भी काउंटरों से अपने कर्मचारियों को हटा दिए हैं ताकि किसान उन्हें किसी तरह का नुकसान न पहुंचाएं। आठ दिन में कंपनी को करीब साढ़े चार करोड से लेकर पांच करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। वहीं टोल प्लाजा प्रबंधकों ने केंद्र सरकार को भी लिखकर दे दिया है कि उन्हें टोल वसूलने नहीं दिया जा रहा है और कंपनी को रोजाना 55 से 65 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। प्रबंधकों का कहना है कि अब केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया है। उम्मीद है कि उस बैठक में किसानों और सरकार के बीच सहमति बन जाएगी और उन्हें भी टोल वसूलने की छूट मिल जाएगी।