पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत नाजुक बनी हुई है. उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती किया गया है. प्रखर प्रवक्ता और सफल राजनेताओं में गिने जाने वाले अटल ने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी अपने झंडे गाड़े थे.
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर उन्होंने 1991 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार की तरफ से लाए गए रिफॉर्म्स को आगे बढ़ाने का काम किया. इसी का परिणाम था कि जब 2004 में मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने, तब हमारी अर्थव्यवस्था काफी मजबूत थी. इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दर 8 फीसदी थी. महंगाई दर 4 फीसदी से भी नीचे थी. वहीं, विदेशी मुद्रा भंडार भी काफी ज्यादा बेहतर स्थिति में था.
आगे हम बता रहे हैं अटल बिहारी वाजपेयी के वे 5 कदम, जिन्होंने नये भारत की तस्वीर गढ़ने में अहम भूमिका निभाई है.
सड़कों से जोड़ा देश
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के मेट्रो शहरों को ही नहीं, बल्कि दूर-दराज के गांवों को भी सड़कों से जोड़ने के लिए योजनाएं शुरू कीं. इसमें स्वर्णिम चतुर्भुज योजना और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अहम है. स्वर्णिम चतुर्भुज योजना ने चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को हाइवेज के नेटवर्क से जोड़ने में मदद की. वहीं, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने देश के दूर-दराज इलाकों में बसे गांवों तक सड़क पहुंचाने का काम किया. इससे इन गांवों के लिए शहरों से जुड़ना आसान हुआ.
वित्तीय कठिनाइयों का समाधान:
प्रधानमंत्री रहने के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने वित्तीय उत्तरदायित्व अधिनियम लाया था. इस अधिनियम के जरिये देश का राजकोषीय घाटा कम करने का लक्ष्य रखा गया. वाजपेयी सरकार के इस कदम ने पब्लिक सेक्टर सेविंग्स को बढ़ावा दिया. इसके चलते 2000 में जो सेविंग्स जीडीपी का 0.8 फीसदी थी. वह 2005 में बढ़ कर 2.3 फीसदी हो गई थी.
संचार क्रांति
वाजपेयी सरकार ने देश में संचार क्रांति को लाने में भी अहम भूमिका निभाई है. ये वाजपेयी सरकार ही थी, जिसने टेलीकॉम फर्म्स के लिए फिस्क्ड लाइसेंस फीस को हटा कर रेवेन्यू-शेयरिंग की व्यवस्था लाई थी. इस दौरान भारत संचार निगम लिमिटेड का गठन भी किया गया. इसके जरिये नीति निर्धारण और सेवाओं के प्रावधान को अलग-अलग किया गया.
इसके साथ ही टेलीकॉम डिस्प्यूट सेटलमेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन भी वाजपेयी सरकार ने किया. इस ट्रिब्यूनल ने इस क्षेत्र की शिकायतों का निवारण समय रहते करने की व्यवस्था तैयार की थी.
निजीकरण
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल के दौरान कारोबार में सरकार का दखल कम करने के लिए निजीकरण को अहमियत दी. इसी का परिणाम था कि उनकी सरकार ने एक अलग विनिवेश मंत्रालय का गठन किया. मौजदूा वित्त मंत्री अरुण जेटली पहले विनिवेश मंत्री बने थे. इस दौरान भारत एल्युमीनियम कंपनी (BALCO), हिंदुस्तान जिंक, इंडिया पेट्रोकेमिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और वीएसएनएल फेमस विनिवेश थे.
सर्व शिक्षा अभियान:
वाजपेयी सरकार के सबसे सफल सामाजिक अभियानों में से एक था सर्व शिक्षा अभियान. इसके जरिये इस सरकार ने 6 से 14 साल की उम्र के बच्चों को मुफ्त प्राथमिक शिक्षा देने का प्रावधान किया था. इसी योजना का परिणाम था कि 2001 में लॉन्च हुई इस योजना के महज 4 साल के भीतर स्कूलों से दूर रहने वाले बच्चों की संख्या में 60 फीसदी की कमी आई