पंजाब विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स सभी नियम और कानून को ठेंगा दिखाकर नियमित रूप से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। यह स्टूडेंट न केवल कैंपस, बल्कि बाहर भी जो प्रदर्शन हो रहे हैं उनमें भी हिस्सा ले रहे हैं। पीयू प्रशासन ने धरना-प्रदर्शन के आयोजन और उसमे भाग लेने पर रोक लगाई हुई है। उसके बावजूद एसएफएस छात्र संगठन लगातार प्रदर्शन में शामिल हो रहे है। नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है। कैंपस में स्टूडेंट्स नियम और कानून तोड़ रहे हैं, वहीं पीयू प्रशासन आंखों पर पट्टी बांधकर यह सब देख रहा है।
शुक्रवार को कैंपस में छात्र संगठन एसएफएस ने रिसर्च स्कॉलर के लिए हॉस्टल खोलने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में एसएफएस कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर नियम और कानून की सरेआम धज्जियां उड़ाई। एसएफएस छात्र संगठन पीयू और उसके बाहर लगातार धरना दे रहे है और उसमें शामिल हो रहे है, जिन पर पीयू प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है। पीयू प्रशासन की कमजोरी का फायदा छात्र संगठन उठा रहे हैं।
पीयू प्रशासन ने किया साफ, शिफ्ट में आएंगे रिसर्च स्कॉलर
रिसर्च स्कालर को कैंपस बुलाने के लिए एक बैठक हुई थी। जिसमे रिसर्च स्कालर को शिफ्ट में आने का प्रपोजल दिया गया है। जिन पीएचडी स्टूडेंट्स की तीन साल की पीएचडी है, उन्हें पहले लैब में चार घंटे का समय दिया गया है, ताकि वो अपनी रिसर्च का काम पूरा कर सके। लेकिन एसएफएस कार्यकर्ताओं ने इस प्रपोजल को भी ठुकरा दिया है।
शारीरिक दूरी का भी नहीं रखा ध्यान
एसएफएस छात्र संगठन कार्यकर्ताओं ने धरने के समय शारीरिक दूरी का भी ध्यान नहीं रखा। हर प्रदर्शन में एसएफएस नियमों को तोड़ रही है। प्रदर्शन के नाम पर ये सभी कैंपस में कोरोना वायरस को बढ़ने में अपना योगदान दे रहे है।