उत्तराखंड : इस साल दशहरा पर पुतला दहन के लिए प्रशासन की मंजूरी का है इंतजार

कोरोनाकाल ने त्योहारों का रंग-ढंग बदलने के साथ ही इनका उल्लास भी फीका कर दिया है। इस वर्ष दशहरा पर दून में भव्य कार्यक्रम नहीं होंगे। यह फैसला अधिकांश रामलीला समितियों ने कोरोना वायरस के संक्रमण के तेज होते प्रसार को देखते हुए लिया है। वहीं, कुछ आयोजक अभी प्रशासन के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि आस्था के इस आयोजन को सूक्ष्म रूप में कराने की प्रशासन से अगर अनुमति मिल जाती है तो शोभायात्रा निकालने के साथ पुतला दहन किया जा सकता है।

दून में विजयदशमी पर हर साल छह जगह भव्य पुतला दहन होता हैं। इनमें दरबार साहिब स्थित तालाब में 152 वर्ष से हो रहे लंकादहन और विशेष आतिशबाजी देखने के लिए ऋषिकेश व हरिद्वार से भी लोग पहुंचते हैं। बन्नू बिरादरी की ओर से परेड ग्राउंड, पर्वतीय रामलीला कमेटी की ओर से धर्मपुर के अलावा राजपुर, प्रेमनगर और पटेलनगर में पुतला दहन किया जाता है। अब दशहरे में सिर्फ दो सप्ताह का वक्त शेष है। लेकिन, दशहरा से पहले जो चहल-पहल रहती थी, वह इस बार कोरोना संक्रमण के कारण शांत है। यहां तक कि रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के जिन पुतलों के लिए दो महीने पहले ऑर्डर दे दिया जाता था, वो भी इस बार नहीं दिया गया है। हालांकि, कुछ आयोजक समितियों के पदाधिकारी अभी भी पुतला दहन को लेकर आशावान हैं। इसके लिए उनकी नजरें प्रशासन पर टिकी हुई हैं।

नहीं बुलाए गए पुतला बनाने वाले कारीगर

रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले बनाने को दशहरा से एक माह पहले ही गोरखपुर, हल्द्वानी, बिजनौर, मुरादाबाद, वृंदावन से 60 से 70 कारीगर दून आते हैं। एक पुतले के निर्माण में 50 हजार से 1.20 लाख तक का खर्च आता है। लेकिन, इस बार अब तक किसी भी समिति ने कारीगरों को नहीं बुलाया है।

कमलेश अग्रवाल (अध्यक्ष, लक्ष्मण चौक वेलफेयर सोसायटी) का कहना है कि इस बार हिंदू नेशनल स्कूल परिसर में 12वां आयोजन होना था, लेकिन कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में पुतला दहन का आयोजन संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है। इसको देखते हुए इस बार आयोजन रद कर दिया है। कुछ लोग रावण की पूजा करते हैं। इसलिए रावण का छोटा पुतला बनाने की तैयारी की जा रही है, हालांकि इस बारे में अभी प्रशासन के आदेश का इंतजार है।

संतोख नागपाल (अध्यक्ष, बन्नू बिरादरी दशहरा कमेटी) का कहना है कि परेड ग्राउंड में इस बार आयोजन को लेकर प्रशासन के आदेश का इंतजार किया जा रहा है। अगर अनुमति नहीं मिलती है तो छोटा पुतला बनाकर परेड ग्राउंड के एक साइड में दहन किया जाएगा।

सोम प्रकाश शर्मा (महामंत्री संरक्षक मंडल, श्री रामलीला कला समिति झंडा बाजार) का कहना है कि देहरादून में 152 वर्ष से दशहरा पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस बार भी लंका जलाने और शोभयात्र के साथ सादगी से मंचन करने के लिए प्रशासन से वार्ता हुई थी। अब प्रशासन के आदेश का इंतजार है। इसके बाद ही आगे की तैयारी की जाएगी। आदेश न मिलने की स्थिति में रामलीला का पाठ किया जाएगा।

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