हॉकी लेजेंड बलबीर सिंह सीनियर के गुम ब्लेजर, फेसबुक पोस्ट कर मांगा इंसाफ, जानें पूरा मामला

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में सर डॉन ब्रैडमैन का ब्लेजर नीलाम होने की एक पुरानी खबर को पद्मश्री बलबीर सिंह की बेटी सुशबीर कौर ने दोबारा री-पोस्ट करते हुए फेसबुक पर एक भावुक संदेश लिखा है। उन्होंने लिखा- कुछ भी नहीं बदला (नथिंग हैज चेंज्ड)। सुशबीर इस पोस्ट में बताती हैं कि कि सर डॉन ब्रैडमैन ने यह ब्लेजर साल 1936-37 में पहना था, जब पहली बार अॉस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान के तौर पर मैदान पर उतरे थे। यह सिर्फ ब्लेजर नहीं सम्मान है, जिसे एक क्रिकेट प्रशंसक ने 61 लाख रुपये में खरीदकर उनके प्रति प्रेम दिखाया है। वहीं, उनके पिता स्व. बलबीर सिंह सीनियर से स्पोर्ट्स अथॉरिटी अॉफ इंडिया के पदाधिकारियों ने म्यूजियम बनाने के नाम पर जो ब्लेजर, मेडल और ऐतिहासिक फोटो लिए थे, उनका क्या हुआ किसी को कुछ नहीं पता। इसमें शामिल लोगों को शर्म आनी चाहिए।

यह है मेडल गुम होने का पूरा मामला

दरअसल युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करने के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी अॉफ इंडिया (साई) के पदाधिकारियों ने वर्ष 1985 में तीन बार ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता बलबीर सिंह सीनियर से संपर्क किया था। उनसे स्पोर्ट्स म्यूजियम बनाने की बात कही और उनसे मेमोरैबिलिया मांगे। इस पर बलबीर सिंह सीनियर ने पदाधिकारियों के पास अपने 36 मेडल, वर्ष 1956 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के समय पहना हुआ ब्लेजर और 120 के करीब ऐतिहासिक फोटो जमा करवाए थे। ये अब कहां हैं, इसका स्पोर्ट्स अथॉरिटी अॉफ इंडिया को भी पता नहीं है।

 

मामले को लेकर वर्ष 2018 में दर्ज हुई थी एफआइआर

पद्मश्री बलबीर सिंह सीनियर को अपने मेडल खो जाने की जानकारी वर्ष 2012 में उस समय मिली थी, जब लंदन ओलंपिक में सम्मानित होने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया था। लंदन ओलंपिक में सम्मानित होने वाले खिलाड़ियों को अपना कलेक्शन डिस्प्ले करना था। जब बलबीर सीनियर ने डिस्प्ले के लिए अपने मेडल साई से मांगे तो पता चला कि वे म्यूजियम से गुम हैं। साई का कहना था कि उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। बलबीर सिंह सीनियर कहते थे यह मेरे जीवन की यही सबसे बड़ी पूंजी थी, जो लूट ली गई। इसी बाबत सिंतबर 2018 में पटियाला में एक एफआईआर भी दर्ज हुई थी, लेकिन कोई हल नहीं निकला।

बेटी ने की खिलाड़ियों से की मामले उठाने की अपील

सुशबीर कौर ने लिखा कि उन्हें अभी तक इस सामान के बाबत कोई जानकारी या कामयाबी उन्हें नहीं मिली है, जबकि वह कई मंचों से अपनी मांग को रख चुके हैं। ऐसे पूर्व खिलाड़ियों से अपील है कि वह अपनी आवाज बुलंद कर न्याय के लिए आवाज उठाएं, यही उस महान खिलाड़ी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने अपना पूरा जीवन हॉकी को समर्पित कर दिया।

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