केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की एक विशेषज्ञ समिति ने डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज से भारत में रूसी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-5 के दूसरे और तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल करने के लिए संशोधित आवेदन देने को कहा है। हैदराबाद स्थित दवा कंपनी ने स्पुतनिक-5 के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति के लिए पिछले सप्ताह के आखिर में भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) के यहां आवेदन किया था।
कोरोना महामारी पर सीडीएससीओ की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की सोमवार को हुई बैठक में डॉ. रेड्डीज के आवेदन पर विस्तार से चर्चा हुई। समिति ने कंपनी से संशोधित आवेदन करने को कहा है, जिसमें उसे यह बताना है कि दूसरे और तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल संयुक्त रूप किया जाना है। सूत्रों ने बताया कि कंपनी से कुछ अन्य जानकारियां भी मांगी गई हैं।
वहीं, दवा निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने सोमवार को एलान किया कि वह अपनी कोरोना वैक्सीन की प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने और उसे लंबे समय तक बरकरार रखने के लिए उसमें अलहाइड्रोक्सीक्वीम-दो का इस्तेमाल करेगी। अमेरिका के कैंसस स्थित वैक्सीन निर्माता कंपनी वायरो वैक्स अलहाइड्रोक्सीक्वीम-दो का उत्पादन करती है। भारत बायोटेक की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए उसने वायरो वैक्स एलएलसी के साथ करार किया है।
अलहाइड्रोक्सीक्वीम-दो एक सहायक पदार्थ है, जो टीके की दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से उसमें जोड़ा जाता है। कोवैक्सीन में इस सहायक पदार्थ को जोड़ने से न सिर्फ उसकी प्रतिरक्षा प्रोत्साहित होगी बल्कि लंबे समय तक बनी भी रहेगी। भारत बायोटेक अपनी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन के दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल कर रही है।
कोवैक्सीन एक निष्कि्रय वैक्सीन है, जिसे पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) में सार्स-कोव-2 यानी कोरोना वायरस से निकाला गया है। कंपनी ने कहा है कि इस निष्कि्रय वैक्सीन में वायरो वैक्स के सहायक घटक अलहाइड्रोक्सीक्वीम को मिलाया जाएगा तब वह सही मायने में वैक्सीन या टीका बनेगा।
भारत बायोटेक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कृष्ण इला ने कहा कि वायरो वैक्स के साथ हमारी साझेदारी सुरक्षित व प्रभावकारी और दीर्घकालिक प्रतिरक्षा क्षमता वाली वैक्सीन विकसित करने की दिशा में भारत बायोटेक के अथक प्रयास का नतीजा है। वायरो वैक्स के संस्थापक सुनील डेविड ने कहा कि भारत बायोटेक के साथ साझेदारी कर कंपनी को खुशी हो रही है। यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की मदद से संभव हो पाया है।