कोरोना वायरस की महामारी में रोजगार गंवाने वाले उत्तर प्रदेश के शहर और कस्बों में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) की तर्ज पर अब शहरी क्षेत्र के लिए भी परिवार के एक सदस्य को रोजगार की गारंटी देने की तैयारी में है.
उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी और गैर सरकारी, कौशल प्रशिक्षण या स्वरोजगार के माध्यम से शहर और कस्बे में परिवार के एक सदस्य को रोजगार की गारंटी दे सकती है.
सरकार इसके लिए संवैधानिक रोजगार आयोग के गठन पर विचार कर रही है. इसके लिए सरकार ने प्रस्ताव भी तैयार करा लिया है. माना जा रहा है कि सरकार विधानसभा चुनाव से पहले इस संबंध में औपचारिक घोषणा कर सकती है.
बताया जा रहा है कि रोजगार आयुक्त को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी विभाग, सरकारी या निजी संस्था को रोजगार या कौशल विकास से संबंधित निर्देश दे सके.
रोजगार आयुक्त, रोजगार आयोग को रिपोर्ट करेंगे. प्रस्ताव में यह भी सुझाव दिया गया है कि आयोग उपमुख्यमंत्री की अध्यक्षता में काम कर सकता है. इसके लिए प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा चुका है.
गौरतलब है कि गांवों में मनरेगा लागू है. इस योजना के तहत हर परिवार को साल में कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है. मनरेगा योजना देश में तब लागू हुई थी, जब देश में डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार थी.