बड़ी खबर : हाथरस में मीडिया को नहीं रोक सकती योगी सरकार चंदपा क्षेत्र के दवार खुले मीडिया के लिए

हाथरस के चंदपा क्षेत्र में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता के गांव को आज मीडिया के लिए खोल दिया गया है। बीते कुछ दिनों से पूरे गांव में बैरिकेडिंग थी और मीडिया का प्रवेश भी वर्जित कर दिया गया था। हालांकि प्रशासन से यह अनुमति सिर्फ मीडिया को दी है, यानी राजनेता आदि गांव में नहीं जा सकते।

पीड़िता के परिवार का आरोप है कि मीडिया ने उन्हें धमकाया है। मीडिया को इजाजत देना प्रशासन की चाल है। पुलिस ने हमारे साथ मारपीट की। हमसे कहा कि क्या बेटी कोरोना से मरती तो मुआवजा नहीं मिलता। हमें यूपी पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। हमें इंसाफ चाहिए।
एसडीएम ने कहा एसआईटी की जांच पूरी इसलिए दी अनुमति

आरोपी लवकुश की मां अब न्याय मांग रही हैं। वह कह रही हैं कि अगर मेरे बेटे गुनहगार हैं तो उन्हें गोली मार दी जाए आरोपी की मां का कहना है कि उनके बेटों को फंसाया गया है। पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की बात भी सामने नहीं आई है। उसके भाई पर ही हत्या का आरोप लग रहा है। आरोपी की मां खुलकर बिटिया के घर के सामने ही हंगामा कर रही हैं और पीड़िता के घरवालों पर गंभीर आरोप लगा रही हैं।

मालूम हो कि गांव में बैरिकेडिंग करके मीडियाकर्मियों को रोके जाने का विरोध खुद भाजपा के कई नेताओं ने किया था। उमा भारती ने भी ट्वीट कर मीडिया को रोके जाने को गलत बताया था। उन्होंने कई ट्वीट कर लिखा, योगी आदित्यनाथ जी आपको जानकारी होगी ही की मैं कोरोना पॉजिटिव होने के चलते एम्स ऋषिकेश के कोरोना वार्ड में भरती हूं। उन्होंने आगे लिखा, आज मेरा यहां सातवां दिन है और इसलिए मैं अयोध्या मामले पर विशेष सीबीआई कोर्ट में पेश भी नहीं हो पाई। यद्यपि मैं किसी से मिल नहीं सकती, फोन नहीं कर सकती लेकिन टीवी है जिससे की समाचार मिलते हैं।

वह आगे बोलीं, मैंने हाथरस की घटना के बारे में देखा। पहले तो मुझे लगा की मैं ना बोलूं क्योंकि आप इस संबंध में ठीक ही कार्यवाही कर रहे होंगे। किंतु जिस प्रकार से पुलिस ने गांव की एवं पीड़ित परिवार की घेराबंदी की है उसके कितने भी तर्क हों लेकिन इससे विभिन्न आशंकाये जन्म लेती हैं। वह एक दलित परिवार की बिटिया थी। बड़ी जल्दबाजी में पुलिस ने उसकी अंत्येष्टि की और अब परिवार एवं गांव की पुलिस के द्वारा घेराबंदी कर दी गई है।

उमा भारती ने ये भी कहा कि, मेरी जानकारी में ऐसा कोई नियम नहीं है कि एसआईटी जांच में परिवार किसी से मिल भी ना पाए। इससे तो एसाईटी की जांच ही संदेह के दायरे में आ जाएगी।

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