यूपी के हाथरस के चंदपा क्षेत्र की अनुसूचित जाति की बिटिया के साथ हुई घटना से पूरे इलाके में जातीय तनाव बढ़ता जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट व कुछ तथ्यों के सामने आने के बाद आरोपी पक्ष भी अब खुलकर सामने आ गया है। इलाके में पंचायतें शुरू हो गई हैं। ऐसे में जो तनाव खामोशी भरा था, उसे खुलकर देखा जा सकता है।
बिटिया के गांव में तो पुलिस फोर्स के चलते मामला शांत है और वहां वाल्मीकि परिवार के चंद घर हैं, लेकिन आसपास के इलाके में इस जातीय तनाव की तपिश देखी जा सकती है। इसका आभास स्थानीय प्रशासन को भी हो रहा है। खुफिया तंत्र अलर्ट पर है।
चंदपा क्षेत्र के एक गांव में 14 सितंबर को अनुसूचित जाति की बिटिया के साथ दरिंदगी और बाद में उसकी मौत होने के बाद देशभर में उबाल है। राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रकरण बड़ा मुद्दा बन गया है। हालांकि, चारों आरोपियों को पुलिस पहले ही पकड़ चुकी थी। बिटिया वाल्मीकि जाति से थी, जबकि चारों आरोपी ठाकुर जाति के हैं।
पुलिस प्रशासन ने परिजनों की गैरमौजूदगी में जबरन अंतिम संस्कार भी करा दिया था। इस दौरान खासा हंगामा हुआ। आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने बिटिया के परिजनों को कई बार धमकियां भी दीं। दबाव बढ़ने पर शासन ने एसआईटी जांच बैठा दी। पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी। नौकरी और मकान देने का भी आश्वासन दिया।
इसके बाद भी बिटिया के पक्ष में जिले में ही नहीं, लखनऊ, दिल्ली व अन्य जगहों पर भी जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की बात नकारी जा रही है।
ऐसे में आरोपी पक्ष भी खुलकर सामने आ गया है। एक आरोपी के पिता ने तो सीधे-सीधे भाजपा सांसद राजवीर दिलेर और उनकी बेटी व सफाई कर्मचारी आयोग की पूर्व सदस्य मंजू दिलेर को झूठा मुकदमा कायम कराने के लिए दोषी ठहराया है।
फिलहाल, इलाके में जातीय तनाव गहराता जा रहा है। अब ठाकुर व अन्य सवर्ण जातियों ने भी पंचायतें शुरू कर दी हैं। बिटिया के गांव में तो काफी पुलिस फोर्स मौजूद है। गांव छावनी बना हुआ है, लेकिन आसपास के इलाके में इस तनाव की तपिश महसूस की जा सकती है। इसे लेकर खुफिया तंत्र अलर्ट है। प्रशासन भी इसे महसूस कर रहा है। शासन भी पल-पल की रिपोर्ट मांग रहा है।