कई क्षेत्रों में हिंदी समझी नहीं जाती वहां के लिए लोकल भाषा बोलने वालों की जरूरत
सीतारमण ने कहा कि कई क्षेत्रों में हिंदी समझी नहीं जाती. उन बैंक के अधिकारियों को ग्राहकों को सर्विस देने के लिए लोकल भाषा सीखने की जरूरत है. ऐसे में बैंकों का यह दावा करने का कोई मतलब नहीं है कि वे ऑल इंडिया लेवल पर उनकी उपस्थिति है. उन्होंने कहा, हमें ऐसे लोगों के कैडर की जरूरत है जो उस राज्य की भाषा समझ सके जहां उनकी तैनाती होती है.
ब्रांच में स्थानीय लोग आते हैं, पर वहां के अधिकारी लोकल भाषा नहीं बोल पाते- FM
फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि बैंकों में नियुक्ति ऑल इंडिया लेवल पर होती है. लेकिन अधिकारियों की नियुक्ति अगर वैसे राज्य में दूर-दराज क्षेत्र में होती है, जहां हिंदी नहीं बोली जाती और वे स्थानीय (लोकल) भाषा बोल नहीं पाते. मेरे पास ऐसे कई मामले आये जिससे यह पता चला कि ब्रांच में स्थानीय लोग आते हैं, पर वहां काम कर रहे अधिकारी लोकल भाषा नहीं बोल पाते.
सीतारमण ने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को खासकर नई नियुक्ति के मामले में यह जरूरी है कि स्वेच्छा के आधार यह निर्णय किया जाए कि वे किस भाषा में विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते हैं. बता दें कि पिछले साल संसद में दक्षिणी राज्यों के कई सदस्यों ने लोकल भाषा में बैंक अधिकारियों के सहज नहीं होने के मामला उठाया था. उस समय फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा था कि वह कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों के सांसदों की मांग पर गौर कर रही हैं कि नियुक्ति परीक्षा स्थानीय भाषा में भी हो.
बैंक सेक्टर में मातृभाषा अधिकारी का होना इसलिए है जरूरी
इस मौके पर मुख्य सतर्कता आयुक्त (Chief Vigilance Commissioner -CVC) संजय कोठारी (Sanjay Kothari) ने कहा कि सिविल सेवा की तरह बैंक सेक्टर में मातृभाषा (Mother toungue) के अलावा एक से अधिक भाषा सीखने की संभावना टटोली जानी चाहिए. ताकि लोगों की बातों को अच्छी तरह से समझा जा सके. सीतारमण ने कहा कि कोठारी के पदभार संभालने के बाद CVC ने काफी बदलाव किए हैं. उन्होंने स्वयं बैंक क्षेत्र के प्रति रूचि दिखाते हुए कई सकारात्मक विचार दिये. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि CVC से डरने की जरूरत नहीं है. इसके बजाए उन्हें उनके साथ मिलकर और जागरूक होकर काम करने की जरूरत है.