एश्योर्ड कैरियर प्रमोशन (एसीपी) घपले में बड़ी कार्रवाई कर रोडवेज मुख्यालय की ओर से तकरीबन 300 कार्मिकों की एसीपी रिवर्ट कर दी है। ये सभी कार्यशालाओं या डिपो के तकनीकी कार्मिक हैं। पिछले तीन साल से चल रहे एसीपी घपले में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। इससे पूर्व पिछले दिनों वित्त नियंत्रक की ओर से 11 आला अधिकारियों पर कार्रवाई कर मासिक वेतन से हर माह दस-दस हजार रुपये की कटौती करने के आदेश दिए थे।
रोडवेज में एसीपी घपले में चल रहे स्पेशल ऑडिट में जल्द बड़ा खुलासा हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि टीम ने जांच की जो प्रारंभिक रिपोर्ट शासन के सुपुर्द की है, उसी में ग्रामीण व पर्वतीय डिपो के 100 कार्मिकों की एसीपी गलत पाई गई है। शेष डिपो का आडिट अभी चल रहा है। बताया जा रहा कि करीब एक हजार अधिकारी व कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं, जिन्हें न सिर्फ गलत एसीपी बल्कि गलत प्रोन्नत वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है। अनियमितता के चलते रोडवेज को हर महीने दो-ढाई करोड़ की चपत लग रही है। रोडवेज इसकी जांच को लेकर शिथिलता बरत रहा था मगर इस बार शासन ने आर्थिक मदद जारी करते हुए शर्त रखी थी कि गलत एसीपी व वेतनमान घपले में स्पेशल ऑडिट करा रिपोर्ट शासन को भेजी जाए। रोडवेज में शासन के आदेश पर वर्ष 2013 और 2014 में एसीपी लगाने की शुरुआत हुई थी। वर्ष 2018 में गड़बड़ी पकड़े जाने पर तत्कालीन एमडी ने रिकवरी के आदेश दिए थे, जो हुई ही नहीं। अब स्पेशल आडिट टीम परतें उधेड़ रही तो रोज खुलासे हो रहे। आडिट टीम की रिपोर्ट से पहले ही रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन ने बुधवार को लगभग 300 कार्मिकों की एसीपी रिवर्ट कर पुराना वेतनमान देने के आदेश दिए।
रोजवेड महाप्रबंधक दीपक जैन का कहना है कि एसीपी को लेकर विभागीय जांच भी कराई गई थी और शासन की ओर से भी स्पेशल आडिट टीम के जरिए जांच कराई जा रही है। रोडवेज प्रबंधन ने सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों के अतिरिक्त भुगतान पर तो रोक लगा दी थी, लेकिन कार्यरत कर्मी अभी भी बढ़ी हुई एसीपी का लाभ हासिल कर रहे थे। इन सभी को वापस पुराने वेतन पर भेज दिया गया है। शासन के आदेश के बाद एसीपी जारी रखने या रिकवरी करने की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।