जज ने अपने फैसले में कहा कि घटना वाले दिन विहिप और उसके तत्कालीन अध्यक्ष दिवंगत अशोक सिंघल ने उग्र भीड़ को रोकने की भी कोशिश की थी. जज ने अशोक सिंघल के एक वीडियो का भी जिक्र अपने फैसले में किया. स्पेशल जज ने कहा कि जो भी आरोपी वहां मौजूद थे सभी ने कारसेवकों को रोकने का प्रयास किया. ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि इसके पीछे साजिश रची गई थी.
क्या कहा जज ने?
फैसला सुनाते हुए जस्टिस सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 के दिन दोपहर 12 बजे विवादित ढांचा के पीछे से पथराव शुरू हुआ. उस वक्त अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं. वहां मौजूद सभी आरोपी उग्र भीड़ को रोकने की कोशिश की. जज ने कहा कि सीबीआई की तरफ से जो फोटो कॉपी साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध कराई गई उसकी मूल प्रति पेश नहीं की गई. सीबीआई ने साध्वी ऋतंभरा व कई अन्य अभियुक्तों के भाषण के टेप को सील नहीं किया. जज ने कारसेवकों को भी दोषमुक्त कर दिया. जज ने कहा कि जो कारसेवक वहां मौजूद थे, वे सभी उन्मादी नहीं थे, बल्कि कुछ असामाजिक तत्वों ने भीड़ को उकसाया था.
जिन 32 आरोपियों को बरी किया गया है उसमें बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साघ्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर शामिल हैं.
CM योगी बोले- न्याय की जीत
उधर, सीबीआई स्पेशल कोर्ट के फैसले पर ख़ुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि न्याय की जीत हुई.