मध्य प्रदेश के इंदौर में बांग्लादेश से बॉर्डर पार करवाकर गैर कानूनी ढंग से देह व्यापार के लिए लाई गईं लड़कियों के फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले दो आरोपियों को एमआईजी पुलिस ने पकड़ा है। ये दोनों गांधी नगर में फोटो स्टूडियो चलाते थे। यहीं पर पांच सौ रुपए में कलर प्रिंटर व मशीनों से आधार कार्ड बनाकर देते थे। एमआईजी टीआई विजय सिसोदिया के मुताबिक, पकड़े गए आरोपियों के नाम दीपक वैष्णव और गोवर्धन पुरोहित हैं। दीपक का गांधी नगर में फोटो स्टूडियो है। गोवर्धन भी उसी के साथ काम करता था। 26 सितंबर को श्रीनगर के उमा अपार्टमेंट में पकड़ी गईं चार बांग्लादेशी लड़कियों व आरोपी नसरूद्दीन मलिक व उसकी पत्नी से पूछताछ में पता चला था कि बांग्लादेश से जो लड़कियां एजेंट के जरिए इंदौर लाई जाती थीं, उन्हें यहां देह व्यापार के लिए होटलों में ठहरने, फार्म हाउस में भेजने और अन्य कामों के लिए भारतीय पहचान की जरूरत होती थी।
टीआई ने लड़कियों की तलाशी कराई तो उनके पास से आधार कार्ड मिले। जब इनके नंबर और पते की जांच की गई तो वे फर्जी निकले। बाद में जब आरोपी दंपती से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उन्होंने गांधी नगर में आरोपी दीपक के फोटो स्टूडियो से लड़कियों के फर्जी आधार कार्ड तैयार कराने की बात कबूली। दीपक व गोवर्धन ने आम लोगों के आधार कार्ड का उपयोग कर बांग्लादेशी लड़कियों के लिए फर्जी आधार कार्ड बना दिए। एमआईजी पुलिस ने सोमवार को इनके स्टूडियो की सर्चिंग की तो भारी मात्रा में फर्जी आधार कार्ड मिले। केस दर्ज कर आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
उधर, बांग्लादेश से अवैध तरीके से लाई गई 13 लड़कियों को घर भेजने के लिए इंदौर पुलिस ने बांग्लादेश के दूतावास से संपर्क किया है। पुलिस को यह भी पता चला है कि इस रैकेट के एजेंट शहर में रूस व यूक्रेन की एस्कॉर्ट सर्विस से जुड़ी लड़कियों को भी बुलाते थे। डीआईजी ने दिल्ली के इमिग्रेशन डिपार्टमेंट से संपर्क कर युवतियों की जानकारी मांगी है। डीआईजी हरि नारायण चारी मिश्र ने बताया कि रूस व यूक्रेन की लड़कियां दिल्ली, मुंबई से होकर इंदौर पहुंचती थीं। इन्हें शहर के कई बड़े होटलों या फार्महाउस में ठहराया जाता था। गिरोह से जुड़े सागर जैन, रोहन, कपिल, प्रमोद उर्फ बाबा के गिरफ्तार होने के बाद नई जानकारियां सामने आएंगी।
आशंका है कि शहर में सेक्स सर्विस के लिए कई और लड़कियां हैं जो बंधक बनाकर रखी गई हैं। ऐसी सभी युवतियों को छुड़ाने की कोशिश की जा रही है। डीआईजी ने यह भी कहा है कि इस गिरोह के फरार एजेंटों के संपर्क में रहने वाले या उनसे सांठ-गांठ करने वाले पुलिस कर्मचारियों की वे खुद जानकारी जुटा रहे हैं। कई थानों के कर्मियों के नाम भी पता चले हैं। ये विभाग की छवि खराब करने वाले लोग हैं। इनकी बर्खास्तगी की कार्रवाई भी की जा सकती है।