शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व पंजाब के कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के राज्य प्रभारी हरीश रावत की उपस्थिति में कृषि विधेयकों के खिलाफ जंग की शुरुआत की। कांग्रेस नेताओं ने शहीद के समाधि स्थल खटकड़कलांं में धरना देकर इसका शुभारंभ किया।
इस दौरान कैप्टन ने कहा कि पाकिस्तान की सीमा से सटे होने के कारण पंजाब में काफी चुनौतियां है। आइएसआइ की नजर पंजाब पर है। पिछले तीन वर्ष में हमने 150 से ज्यादा आतंकवादियों को पकड़ा। पंजाब में सब कुछ शांतिपूर्ण था, लेकिन जब आपकी रोटी छीनेगा तो क्या कोई उग्र नहीं होगा। सरकार ने जो किया वह देश विरोधी है।
धरने में कैप्टन के अलावा प्रदेश प्रभारी हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़, राज्य के सभी मंत्री मौजूद रहे। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इससेे पहले भी 23 मार्च 2018 को म्यूजियम के उद्घाटन के बाद नशे के खिलाफ जंग की शुरूआत की थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सबसे पहले राज्य से नशे को खत्म करने के लिए खुद प्रथम डेपो (ड्रग एब्यूज प्रिवेंशन अफसर) वालंटियर की शपथ ली थी। इसके बाद मौजूद सभी डेपो वालंटियर्स को भी शपथ दिलाई गई थी।
कैप्टन ने नए कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी देने को निंदनीय और दुखदायक करार दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने इस संबंध में कांग्रेस और अन्य विरोधी पार्टियों का पक्ष सुने बिना यह फैसला लिया है। इन कानूनों से किसानों का बहुत नुकसान होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए उनकी सरकार प्रांतीय कानूनों में हर संभव संशोधन करने के लिए सभी पहलुओं पर विचार कर रही है। कोई फैसला लेने से पहले किसान संगठनों और अन्य स्टेक होल्डर को भरोसे में लिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने आश्वासन दिाय कि राज्य सरकार फसल की कीमत के साथ समझौता किए बिना किसानों का एक-एक दाना खरीदने के लिए वचनबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में अगला कदम उठाने से पहले उनकी सरकार कानून और खेती माहिरों समेत उन सभी लोगों से विचार-विमर्श कर रही है जो केंद्र सरकार के इन किसान विरोधी कानूनों से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि कानूनी रास्ता अख्तियार करने के अलावा अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। कैप्टन ने कहा कि इन नए कानूनों को मौजूदा रूप में लागू होने से पंजाब की खेती बर्बाद हो जाएगी जो कि पंजाब की जीवन रेखा है।