देश में कोरोना संक्रमण के कुल पुष्ट मामले 57 लाख के आंकड़े को पार कर चुके हैं। सर्वाधिक संक्रमण के मामलों में भारत का स्थान दुनियाभर में दूसरा है। हालांकि देश में अब सक्रिय मामलों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले करीब एक सप्ताह के दौरान रोजाना संक्रमित होने वालों की तुलना में ठीक होने वालों की संख्या अधिक रही है। देश के सर्वाधिक प्रभावित पांच राज्यों में सक्रिय मामले लगातार घट रहे हैं। आइए आंकड़ों के जरिये जानते हैं कि भारत में कोविड-19 महामारी का प्रकोप कितना कम हो रहा है।
सर्वाधिक प्रभावित पांच राज्यों का हाल : कोविड-19 महामारी से सर्वाधिक प्रभावित पांच राज्यों में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। यहां सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले दो सप्ताह में आंध्र प्रदेश में सर्वाधिक 30 फीसद सक्रिय मामले कम हुए हैं। वहीं महाराष्ट्र में महज एक सप्ताह में सक्रिय मामले 10 फीसद गिरकर 3 लाख से 2.75 लाख हो गए हैं। तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में भी सक्रिय मामले घट रहे हैं।
इस तरह घटे सक्रिय मामले : 19 से 24 सितंबर के मध्य ठीक होने वाले मरीजों की संख्या नए संक्रमितों से अधिक रही है। यह सबसे लंबा दौर है जब इस तरह की प्रवत्ति देखी जा रही है। इसका परिणाम सक्रिय मामलों की घटती संख्या के रूप में सामने आया है। 17 सितंबर को 10.17 लाख सक्रिय मामले थे, जो अब घटकर 9.71 लाख पहुंच चुके हैं। महामारी का पहला मामला सामने आने के बाद से सक्रिय मामलों में लगातार गिरावट पहली बार देखी गई है।
महामारी के चरम की ओर इशारा : 5 सितंबर को पहली बार 90 हजार मामले सामने आए थे। इसके बाद प्रतिदिन आने वाले कुल पुष्ट मामलों की संख्या 75 हजार से 98 हजार के बीच रही है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या में पिछले एक सप्ताह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सोमवार को सर्वाधिक एक लाख से ज्यादा लोग ठीक हुए हैं। पुष्ट मामलों से ठीक होने वालों की अधिक संख्या शुभ संकेत है। हालांकि यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि यह प्रवृति कितने लंबे समय तक बनी रहती है। साथ ही यह इस बात का भी संकेत है कि देश में महामारी का चरम आ चुका है या फिर बहुत ही पास है।
दिल्ली का अनुभव ठीक नहीं : दिल्ली का अनुभव हमें डराता है। राष्ट्रीय राजधानी में एक समय रोजाना आने वाले सक्रिय मामले 10 हजार से कम रह गए थे, जो अब बढ़कर 30 हजार से अधिक हो चुके हैं। ऐसे में हमें सचेत रहने की जरूरत है।