मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराज यशवंत राव हॉस्पिटल (एमवायएच) में लापरवाहियां थमने का नाम नहीं ले रहीं। 10 दिन पहले कोरोना से मौत के बाद शव महाराज तुकोजी राव हॉस्पिटल (एमटीएच) से भेजा गया था, लेकिन परिजन को इसकी सूचना ही नहीं दी गई। वे समझते रहे कि तानाजी का एमटीएच में इलाज चल रहा है। शुक्रवार को एमवायएच की मॉर्चरी में शव मिलने के बाद परिजन को खबर दी गई।
इससे पहले एमवायएच की मॉर्चरी में 15 सितंबर को नरकंकाल और 17 सितंबर को ढाई महीने के बच्चे का शव मिला था। तानाजी को परिजन 6 सितंबर को शाम साढ़े चार बजे इलाज के लिए लाए थे। कोरोना पॉजिटिव आने पर एमटीएच में भर्ती किया गया। 9 सितंबर को उनकी मौत हो गई।
कर्मचारियों ने शव पॉलिथीन में लपेट एमवायएच की मॉर्चरी में भेज दिया। उसके बाद किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। मॉर्चरी में नरकंकाल मिलने के बाद एक-एक शव की जांच हो रही है, उसी दौरान इसका खुलासा हुआ। सूत्रों का कहना है कि जिस दिन शव एमवायएच आया तब पुलिस चौकी के जवानों को सिर्फ ये जानकारी दी गई कि परिजन को तलाशना है।
हेड कांस्टेबल नारायण सिंह ने बताया कि उन्होंने 9 सितंबर को एंट्री कर ली थी, लेकिन किसी ने परिजन का नाम-पता नहीं दिया। शुक्रवार को एमटीएच से फोन नंबर लेकर परिजन को बुलाया। बेटा और पत्नी शव लेकर चले गए। वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज की 9 सितंबर को मौत हुई, उसके तुरंत बाद परिजन को खबर दे दी गई। वे नहीं आए तो शव एमवायएच की मॉर्चरी में रखवा दिया गया। शुक्रवार को दोबारा खबर देने पर परिजन आए। दरअसल, अस्पताल के रजिस्टर में मरीज के नाम को लेकर कुछ गफलत हो गई। रजिस्टर में स्पेलिंग गलत थी। परिजन आए थे, लेकिन नाम की गफलत के कारण उन्हें पता नहीं चल पाया कि मरीज कहां है।