पटना। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा आरोप लगाया। मांझी ने कहा कि उनको मुजफ्फरपुर जैसी घटना की भनक मिल रही थी और वे कार्रवाई का मन बना चुके थे, मगर कुकर्मों को छुपाने के लिए नीतीश कुमार ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया। इसका नतीजा हुआ कि सात साल तक की बच्चियों के साथ दुष्कर्म होता रहा। सरकार इन दुष्कर्मियों को पैसा देती रही। इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अविलंब इस्तीफा देकर जनता से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने लोजपा प्रमुख व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के दलित प्रेम को भी नौटंकी करार दिया।
गोरखधंधे की लग गई थी भनक
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बड़ा बयान देकर सनसनी फैला दी है। उनकी मानें तो उन्हें समाज कल्याण विभाग में हो रहे गोरखधंधे की भनक लगई गई थी। अगले दो-चार महीने में वे सबको नंगा करने ही वाले थे कि साजिश रचकर उनकी सरकार ही गिरा दी गई। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मौका मिला होता तो वे विधानसभा का सत्र बुलाकर इस मुद्दे पर चर्चा कराते। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। विदित हो कि मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में हुई यौन हिंसा को लेकर इन दिनाें समाज कल्याण विभाग बदनामी झेल रहा है। एक-एककर विभाग के तहत संचालित कई शेल्टर होम में गड़बडि़यां सामने आईं हैं। यहां तक कि विभागीय मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा है।
साजिश के तहत पद से हटाया
जीतनराम मांझी ने कहा कि उन्हें कई विभागों में घाटालों व गड़बडि़यों की जानकारी मिली थी। इनमें समाज कल्याण विभाग भी शामिल था। कहा कि वे एक-एक कर सभी को नंगा करने वाले थे। मांझी ने बताया कि कुछ लोगों को यह लगा कि वे सारी गड़बड़ियों का खुलासा कर देंगे, इस कारण बड़ी साजिश रची गई। इसके तहत उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतार दिया गया।
नीतीश कुमार पर साधा निशाना
मांझी ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनके पूर्व के बयानों को देखें तो उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिया है। पहले वे मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने का ठीकरा नीतीश कुमार पर फोड़ते रहे हैं। ऐसे में मांझी के बयान के गहरे राजनीतिक अर्थ हैं।
सामने आया पासवान का असली चेहरा
मांझी ने रामविलास पासवान पर भी निशाना साधा। कहा कि जब देश के दलित एससी- एसटी एक्ट को लेकर 2 अप्रैल को सड़क पर थे, तब उनका दलित प्रेम नहीं दिखा रहा था। लोजपा प्रमुख का असली चेहरा सामने आ चुका है। पासवान एनडीए में अपना चेहरा चमकाने के लिए वह नौटंकी कर रहे हैं, ताकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वे राजग से सीटों को लेकर बारगेनिंग कर सकें। उन्होंने कहा कि सही मायने में अगर केंद्र सरकार देश में दलित हित की बात करती है तो एससी-एसटी एक्ट को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करे।