सितंबर के पहले 15 दिनों में पेट्रोल (Petrol Sales) की बिक्री पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2 फीसदी अधिक रही. डीजल (Diesel Sales) की बिक्रा कोरोना के पहले के दौर के 94 फीसदी के बराबर पहुंच गई है. अगस्त की तुलना में इसमें 19 फीसदी की तेजी आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोना के इस संकट (Covid 19 Pandemic) में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बजाय निजी वाहनों को प्राथमिकता दे रहे हैं. यही वजह है कि अगस्त में कारों की बिक्री 14 फीसदी बढ़ी है. वहीं, 2-व्हीलर्स की सेल्स में 3 फीसदी का इजाफा हुआ है. यहीं वजह है कि ईंधन की खपत में तेजी आई है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मानसून सीजन खत्म होने के बाद, कंसट्रक्शन गतिविधियों में तेजी आएगी. साथ ही, त्योहारी सीजन के शुरू होने से भी फ्यूल बिक्री बढ़ने की उम्मीद है.
सितंबर में बढ़ी पेट्रोल की बिक्री-जुलाई और अगस्त के दौरान पेट्रोल-डीज़ल की डिमांड में भारी गिरावट आई थी. लेकिन सिंतबर के पहले 15 दिनों में इसमें तेजी लौटी है. यह इस बात का संकेत है कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है.
सितंबर में विमान ईंधन की बिक्री भी अगस्त की तुलना में 15 फीसदी बढ़ी है लेकिन यह अब भी कोरोना के पहले के स्तर से 60 फीसदी कम है.
एलपीजी की बिक्री में इस दौरान एक साल पहले की तुलना में 12 फीसदी के तेजी आई है. अगस्त की तुलना में भी सितंबर के पहले 15 दिनों में बिक्री 13 फीसदी बढ़ी है.कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए लोग ज्यादातर घर में ही रह रहे हैं जिससे एलपीजी की बिक्री में लगातार इजाफा हो रहा है.
डीज़ल की बिक्री बढ़ने से क्या संकेत मिलते हैं? डीजल की बढ़ती डिमांड देश की आर्थिक गतिविधियों की जानकारी देता है. सेल्स बढ़ने का संकेत साफ है कि ट्रांसपोर्ट, कंसट्रक्शन और खेती के कामों में तेजी आ रही है. क्योंकि, इन सभी जगहों पर भारी मशीनों का इस्तेमाल होता है.
इनमें फ्यूल के तौर पर डीज़ल को डाला जाता है. जून में इसकी बिक्री बढ़ी थी लेकिन जुलाई और अगस्त में प्रमुख औद्योगिक राज्यों में मानसून, बाढ़ और लोकल लॉकडाउन की वजह से इसमें कमी आई थी. अगस्त में डीजल की खपत में जुलाई की तुलना में 12 फीसदी की गिरावट आई. यह कोरोना के पहले के स्तर से 21 फीसदी कम रही.