लखनऊ। उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल प्रशासन ने गुड्स रेल लाइनों को डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) में तब्दील करने की योजना पर कार्य शुरू कर दिया है। इसलिए जल्द ही लखनऊ- कानपुर रेल मार्ग पर ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ती नजर आएंगी। उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि नई दिल्ली- हावड़ा रूट की ट्रेनों के लिए उत्तर रेलवे ने गुड्स लाइनों को डीएफसी कॉरिडोर में तब्दील करने की योजना पर कार्य शुरू कर दिया है। इससे लखनऊ-कानपुर रोड पर जल्द ही ट्रेन 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ती नजर आएंगी। ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए सेमी हाई स्पीड ट्रैक भी बिछाया जा रहा है। इसके अलावा अब सोनिक स्टेशन यार्ड को भी विकसित किया जाएगा। डीएफसी कॉरिडोर को लेकर 800 मीटर तक एक नई लाइन भी बिछाई जाएगी। रेलवे बोर्ड के साथ लखनऊ मुख्यालय ने कार्य को शुरू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। रेलवे टीम ने यार्ड लाइन का सर्वेक्षण भी कर लिया है।
उन्होंने बताया कि लखनऊ- कानपुर रूट से प्रतिदिन 70 से 80 माल गाड़ियां होकर निकलती हैं। सुबह 07 से 11 बजे और शाम 04 से रात 09 बजे तक पैसेंजर ट्रेनों के निकलने की वजह से इस रूट पर दबाव अधिक रहता है। फिलहाल कोरोना संक्रमण की वजह अभी पैसेंजर ट्रेनें नहीं चल रही हैं। सिर्फ माल गाड़ियां और यात्रियों के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। कानपुर से चलकर सीधा लखनऊ रुकने वाली ट्रेनों के लिए रास्ता देने के लिए माल गाड़ियों को जैतीपुर और अजगैन में रोकना पड़ता है । वहीं, लखनऊ से चलने वाली ट्रेनों को कानपुर पुल या फिर उन्नाव में रोकना पड़ता है। इस समस्या से निजात के लिए रेलवे ने सोनिक गुड्स शेड को विकसित करना शुरू कर दिया है। वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर (रेलपथ) विकास कुमार ने बताया कि लखनऊ -कानपुर रूट पर ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलाने की तैयारी चल रही है। गुड्स लाइनों को डीएफसी कॉरिडोर में तब्दील करने की योजना है। गुड्स शेड में 800 मीटर की एक नई लाइन बिछाई जाने की तैयारी चल रही है।