राज्य के सात लाख से ज्यादा स्कूली बच्चों को मिड डे मील में अतिरिक्त पोषण पर संकट खड़ा हो गया है। उन्हें राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त दिया जाने वाला अंडा, केला और गुड़ पापड़ी नहीं मिल रहा है। वित्तीय अड़ंगा लगने से अतिरिक्त पोषण के लिए पांच महीने से धनराशि नहीं मिली है। वहीं सरकार से धन नहीं मिलने से परेशानहाल शिक्षकों की शिकायत से जागे शिक्षा महकमे ने इस मामले में अब धन देने की गुहार वित्त से की है।
मिड डे मील के लिए राज्य के सरकारी विद्यालयों को धन मिलने में देरी के चलते परेशानहाल शिक्षा महकमे के सामने अब नई उलझन खड़ी हो गई है। राज्य के 17324 सरकारी और सहायताप्राप्त विद्यालयों के कक्षा एक से आठवीं के सात लाख पंद्रह हजार छात्र-छात्राओं को मिड डे मील दिया जा रहा है। राज्य के बच्चों को मिड डे मील में अतिरिक्त पोषण के लिए सरकार ने अपने स्तर से अंडा, केला और गुड़ पापड़ी देने को बंदोबस्त भी किया है। इसके लिए सालाना करीब 12 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन, चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में लाखों स्कूली बच्चों को अतिरिक्त पोषण देने में बाधा खड़ी हो गई है।
राज्य सरकार ने केंद्रपोषित योजना में केंद्रांश की प्रतीक्षा करते हुए राज्यांश के तौर पर 10 करोड़ की धनराशि जारी तो की है, लेकिन इससे मिड डे मील की व्यवस्था के साथ ही भोजनमाताओं के मानदेय का ही बामुश्किल भुगतान हो पाएगा। अतिरिक्त पोषण के लिए बीते करीब पांच महीने से बजट जारी नहीं हुआ है। बताया गया है कि शिक्षकों ने शुरुआती दौर में अपने स्तर पर ही अतिरिक्त पोषण आहार मुहैया कराने की कोशिश की, लेकिन धनराशि का इंतजार अब लंबा हो चला है। वहीं बीते वित्तीय वर्ष की शेष 3.50 करोड़ की धनराशि को वित्त महकमे के निर्देश पर सरकारी खजाने में जमा कराया जा चुका है। इस वजह से अतिरिक्त पोषण के लिए विभाग वैकल्पिक बंदोबस्त करने से भी लाचार हो उठा है।
इस मामले में विद्यालयों से शिक्षकों ने विभाग से शिकायत की। इसके बाद जिलों से जिला शिक्षाधिकारी प्रारंभिक शिक्षा की ओर से धन की मांग करते हुए विभाग को पत्र भेजे गए हैं। वहीं इस संकट से निपटने को शिक्षा विभाग की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। मिड डे मील संयुक्त निदेशक पीएस बिष्ट ने शासन को प्रस्ताव भेजने की पुष्टि की। उधर, वित्त सचिव अमित नेगी ने अतिरिक्त पोषण के लिए धनराशि जल्द जारी करने का भरोसा दिलाया है।