अध्यक्ष रामजतन यादव समेत सहकारिता के कई एमडी होंगे जेल की सलाखों में
-राघवेन्द्र प्रताप सिंह
लखनऊ : सपा सरकार में 2012 से 2017 के बीच प्रदेश की सहकारिता संस्थाओं मे सहकारी संस्थागत सेवामंडल के माध्यम से हुई भर्तियों में गड़बड़ी की जांच एसआइटी द्वारा की पूरी कर ली गई है। उ.प्र. कोआपरेटिव बैंक, उ.प्र. सहकारी ग्राम विकास बैंक उ.प्र. भ॔डारगार निगम, पी.सी.एफ व जिला सहकारी बैंको के विभिन्न पदों पर 2324 भर्तियों में यू .पी. कोआपरेटिव बैंक मे 50 सहायक प्रबंधकों की भर्ती मे शैक्षिक अहर्ता बदलने तथा ओ.एम आर शीट मे हेराफेरी करने के की पुष्टि ए.आई.टी द्वारा करते हुए तत्कालीन आयुक्त एवं निबंधक शैलेश कृष्ण, तत्कालीन चेयर मैन सेवामंडल रामजतन यादव पूर्व एम.डी .हीरालाल यादव एवं रविकान्त सिंह को दोषी ठहराते हुए भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं एफआईआर दर्ज कर मुदमा चलाने की शाशन से अनुमति मांगी गयी परन्तु इस मामले हो रहे अत्यधिक विलम्ब से शासन स्तर पर अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे है। लेकिन मुख्यमंत्री योगी के संज्ञान में आने के बाद योगी ने कार्यवाई का आदेश दे दिया है आने वाले दो चार दिन में ही दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्यवाई दिखाई देगी। इस पूरे प्रकरण में यूपीसीबी एवं संस्थागत सेवा मण्डल के बाद मुख्यमंत्री जी पैकफेड के वर्तमान प्रबंध निदेशक से सबसे ज़्यादा नाराज़ बताए जा रहे हैं और कठोरता कार्रवाई हेतु वास्तविक आधार अपने विश्वसनीय अधिकारी के माध्यम से तैयार करवाया है।
पिछले दिनो एक्टिविस्ट डा.नूतन ठाकुर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायत पत्र लिख कर एस.आई. टी जांच मे आरोपी अफसरो के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने हुए विभागीय कार्यवाही भी किए जाने का अनुरोध किया था, वही आरएसएस के अनुशांगिक संगठन सहकार भारती ने भी मुख्यमंत्री से एस.आई.टी की रिपोर्ट पर आरोपियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। सहकार भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डे ने कहा कि एसआइटी को सहकारिता विभाग की सभी संस्थाओं मे हुई भर्तियों से सम्बन्धित रिकार्ड अपर मुख्य सचिव सहकारिता एम.वी.एस रेड्डी, जिनकी कार्यशैली पर प्रश्न भी सवाल खड़े हो रहे हैं के निर्देश पर सभी विभागो द्वारा उपलब्ध कराने के बाद जांच मे तेजी आई है।
पाण्डे ने यह भी आरोप लगाया कि सत्ता मे बैठे कुछ लोगों के संरक्षण व पंचम तल में तैनात कुछ अधिकारियों की कमी के कारण आरोपी रामजतन यादव को सुरक्षित सेवानिवृत किया गया तथा अन्य आरोपियों को भी सुरक्षित सेवानिवृत कराने की साजिश के तहत आरोपियों द्वारा जांच एजेन्सी पर ही आरोप लगाकर कार्यवाही टालने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे विभाग मे गलत संदेश जा रहा था। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अब एसआइटी व विभाग हरकत में आ गया हैं अब जल्द ही पैकफेड, एलडीबी, भंडारागार निगम,पीसीयू, संस्थागत सेवामण्डल, के दोषी अधिकारियों के साथ तत्कालीन चेयरमैन रामजतन यादव सहित कई एमडी पर गाज गिरने की संभावना बताई जा रही है।