संसद का मानसून सत्र 10 अगस्त को समाप्त हो गया, लेकिन मोदी सरकार के लिए यह यह सत्र कई मायनों में काफी खास रहा। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने सत्र को अहम बताते हुए शनिवार को कहा कि इसमें एनडीए की एकजुटता दिखी। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह रहा कि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष को करारी हार मिली। एनडीए एकजुटता की एक मिशाल राज्यसभा में उपसभापति के चुनाव में भी दिखी। एनडीए प्रत्याशी हरिवंश नारायण सिंह की बड़ी जीत यह बताती है कि एनडीए के घटक दलों की एकता बरकरार है।
बता दें कि मॉनसून सत्र में मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव आया था। हालांकि, सदन ने बहुमत से इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इस प्रस्ताव पर 11 घंटे 46 मिनट तक चर्चा हई, जिसमें 51 वक्ताओं ने हिस्सा लिया था। वोटिंग के दौरान प्रस्ताव के विरोध में 325 वोट, जबकि समर्थन में 126 वोट पड़े थे। इस तरह मोदी सरकार संसद के भीतर अपनी पहली अग्निपरीक्षा में अच्छे अंकों से पास हो गई। अविश्वास प्रस्ताव के गिरने से विपक्षी एकता पर भी सवाल खड़े किए हैं।
दूसरा, इस सत्र में राज्यसभा में उपसभापति पद के लिए चुनाव होना था। सत्ताा पक्ष और विपक्ष के लिए यह पद हासिल करना प्रतिष्ठा का विषय था। यह चुनाव सियासी नजरिए से काफी अहम था, मगर इस सियासी जंग में जीत एक बार फिर से एनडीए की हुई है। विपक्ष को हार का मुंह देखना पड़ा है। एनडीए उम्मीदवार और जेडीयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह उपसभापति का चुनाव जीत गए। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को हराया। सत्र के दौरान मोदी सरकार के लिए यह दूसरा बड़ा मौका था, जब उसने सदन में अपनी मजबूती और एनडीए एकता के तहत विपक्ष को मात दिया।
बता दें कि संसद का मॉनसून सत्र शुक्रवार को खत्म हो गया। बीते बजट सत्र के मुकाबले इस सत्र में कामकाज काफी बेहतर रहा और मोदी सरकार का सबसे सफल सत्र साबित हुआ। इसमें कई अहम विधेयकों को संसद से मंजूरी दी गई। सत्र में 18 कुल बैठकें निर्धारित थीं, लेकिन गुरुपूर्णिमा की वजह से संसद 17 दिन ही चल सकी। एक दिन दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित रही।
लोकसभा में स्पीकर ने बताया कि बजट सत्र के मुकाबले इस सत्र में संतोषजनक काम हुआ और 112 घंटे तक सदन की कार्यवाही चली। सदन ने 20 घंटे 43 मिनट देर तक बैठकर अहम मुद्दों पर चर्चा की, जबकि स्थगनों और व्यवधान की वजह से 8 घंटे 26 मिनट का वक्त बर्बाद हुआ। साथ ही पेश किए गए 22 सरकारी विधेयकों में से 21 को मंजूर किया गया।